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आज का विद्यार्थी

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 ( इस कविता में आज के विद्यार्थी के सपनों को पूरा करने  तथा उनकी परेशानियों को दूर करने की प्रेरणा दी गई  है।) छोटी सी उमर  में ही  बस्ते का बोझ   उठाकर  उज्ज्वल भविष्य का सपना आंखों में सजाकर कई अनकही बातों को अपने डर तले छुपा कर  विद्यालय  में  पढ़कर  अपने  ज्ञान  को  बढ़ाने देखो  चला   विद्यालय   आज   का   विद्यार्थी।  अपने  माता-पिता के   आंखों  का   तारा आने वाले उज्ज्वल भविष्य का उजियारा  शिक्षकों की आंखों का  चमकता  सितारा सबकी   उम्मीदों   को   पूरा   करने  देखो   चला   आज  का   विद्यार्थी। न जाने इसको, इसके योग्य विद्यालय मिलेगा कि नहीं? न जाने इसके प्रश्नों को कोई  शिक्षक सुनेगा  कि नहीं ? न   जाने    इसको,  इसका  लक्ष्य   मिलेगा  कि  नहीं? न जाने संघर्षशील, आदर्श विद्यार्...

पुरुषार्थी बनो, कर्म करो।

(इस कविता में कर्म करके जीवन में आगे बढ़ने पर जोर दिया गया है, कर्म ना करने और करने का परिणाम भी बताया गया है।) पुरुषार्थी  बनो, कर्म करो  कर्म से ही भाग्य बनता है। दृढ़ संकल्प हो प्रयत्न करो  बिगड़ा भाग्य भी संवरता है। क्यों अपनी गलतियों के लिए दूसरे को गलत ठहराते हो बिना   कर्म   किए   नए-नए सुनहरे  सपने  सजाते   हो। बिना पुरुषार्थ के जीवन में कुछ मिलता नहीं  बिना   ठोकर  खाए  जीवन  निखरता  नहीं। सच्चाई की  कड़वी  बातों को जीवन में  अपनाओ तो, अपनी गलतियों को सुधार कर आगे कदम बढ़ाओ तो। खुली   आंखों  से  देखा  हुआ  सपना भी  सच  होगा, दृढ़ निश्चय और  मेहनत को अपना साथी बनाओ तो। अगर हमने मेहनत किया, जाने के बाद भी हमारी बातें  होंगी, हमारा भी इतिहास होगा, कितने ही दिलों में हमारी यादें होंगी। जीवन तो सफल होगा ही, मरकर भी किसी के काम आएंगे, पूरी  दुनिया को ना  सही कुछ  लोगों को तो  हम याद आएंगे।  पढ़िए ...