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नए साल का नया प्रण(२०२१)

 नया साल हर 1 जनवरी को आता है। हर बदला साल ,एक नई उम्मीद जगाता है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, सबको यह समझाता है। भुलाकर पुराने गिले-शिकवे ,हर कोई नया गीत गुनगुनाता है। ़़़़़़ं़़़ क्या खोया ,क्या पाया, यह सोच कर आगे बढ़ना है। कभी तो मंज़िल मिलेगी ,इसी उम्मीद में चलते रहना है। जो पिछले साल नहीं कर पाए, वह काम इस साल करना है। दंभ और स्वार्थ को भुलाकर,सब के संग मिलकर रहना है। ़़़़़़ं़़़़ंं़़ं नया साल आया है ,तो खुशियां भी आएंगी। अपना कर्म हमें करते रहना है। जैसे दिन- रात बदलते हैं ,नसीब भी बदलेगा। सही समय का इंतज़ार भी करना है। ंंंंंंंं़़ंंं़़ंं नए साल में कुछ नया प्रण हर किसी को करना चाहिए। अपने साथ-साथ पर्यावरण की  स्वच्छता पर भी विचार होना चाहिए। कोशिश करना है समाज भी बदलेगा ,विश्वास होना चाहिए। नव वर्ष 2021 का स्वागत ज़ोरदार होना चाहिए। ़़़़़़़़़़़़ंंंंंंंं़़़़ं

खुदकुशी का विकल्प

 (अगर जीवन से परेशान होकर आपने खुदकुशी करने का फैसला कर लिया है तो यह आर्टिकल एक बार जरूर पढ़िए..) मानव जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक वरदान है ,हम सबके लिए । वैसे तो जीवन सुख- दुख का संगम है, पर कभी-कभी हम इतने ज़्यादा दुखी हो जाते हैं ;दुख की घड़ी इतनी कठोर होती हैं, कि हमअपना जीवन समाप्त करने का मन बना लेते हैं। ‍‌‌मन में यह इच्छा आती है,कि अब जी कर क्या करना है? अब जीवन में कुछ भी नहीं रहा !अगर ऐसा ख्याल आपको भी आ रहा हो, तो मेरे कहने पर खुदकुशी करने से पहले यह तीन काम जरूर करिएगा। (१)अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ बिताए हुए अच्छे पलों को याद करें ,उनकी फोटो को देखें और सोचें, कि हमारी मौत से उन्हें खुशी होगी या दुख? और अगर आपके दुख का कारण आपके अपनों की नाराजगी ही है, तो ‌याद रखिए अपने, अपनों से ज़्यादा देर नाराज नहीं रह सकते। कभी ना कभी उनकी नाराज़गी दूर होगी और वे अपने आपको ज़िंदगी भर कोसते रहेंगे ,कि हमारी इस छोटी- सी गलती के कारण कोई हमारा अपना, हमसे दूर चला गया । इसलिएथोड़ा समय बीतने दीजिए , इंतज़ार कीजिए, सब कुछ ठीक हो जाएगा। (२)समाज में रहने वाले अपने ही जैसे और लोगों से यदि

नववर्ष की कविता (२०२१)

लो 2020 बीत गया, अब आएगा 1 साल नया। जब 2020 आया था, अनोखी यादें लाया था। अपनी संग यह साल, कोरोनावायरस साथ लाया था। इसकी यादें अब जीवन का कस्सा बन चुकी हैं। मास्क और 2 गज की दूरी जीवन का हिस्सा बन चुकी है ंं़ंंंं़ंंं़ंंंं़ं इस साल घट गई, हर किसी की कमाई। अब हो रही है ,ऑनलाइन ही पढ़ाई। हालांकि बच्चों की संख्या बहुत कम है। देश का भविष्य अनपढ़ ना रह जाए, चिंता इसकी सबको हरदम है। ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं जल्दी बीते यह साल , ऐसा कहकर सब ने इसे कोसा। हर किसी को था ,नए साल के आने का भरोसा। वैसे तो इस 2020 ने दिया है अनुभव, हर दिन नया। संघर्षों से भरा था ,संकट भी था ,चलो बीत गया। ंंंं अब 2021 आएगा,  कुछ खट्टे मीठे अनुभव यह भी दे जाएगा। जो भी हो वह देखा जाएगा। पर ,इसकी वेलकम पार्टी में बड़ा मजा आएगा।

खुदकुशी का विचार, छोड़ो यार

होकर ज़िंदगी से मजबूर ,हो गए जो अपनों से दूर। जाने क्यों ,उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा। सिर्फ अपने बारे में सोच कर हो गए वे अपनों से दूर। आंखों में आंसू लिए, अर्थी कोई सजाएगा उनकी याद करके उनको सौ -सौ बार मरेगा यह बात उन्होंने कभी न सोचा। ज़िंदगी से भागने वालों को फिर ज़िंदगी नहीं मिलती। भटकना पड़ता है प्रेत बनकर, जल्दी मुक्ति नहीं मिलती। जिंदगी तो है महबूबा, रूठना -मनाना चलता रहता है। रूठ कर चले जाने से, महबूबा की मोहब्बत नहीं मिलती। जब भी आए खुदकुशी का विचार  याद करना अपनों का प्यार। कैसे कोई अपनों से बिछड़ कर जीता है  करना इस पर भी विचार। आज वक्त भले आप का साथ न दे पर यह वक्त भी बीत जाएगा। जब गम के बादल बरस जाएंगे तभी तो खुशियों का उपवन सजेगा। मेरी बातों को सोचो, बदलो अपना व्यवहार। खुदकुशी का विचार, छोड़ो  यार। हो जाएगा अपने जीवन से प्यार। कभी तो बसेगा तुम्हारा भी संसार। जरूर पढ़ें-खुदकुशी का विकल्प 👈👈

रोग भुलक्कड़ी

 छोटी मोटी बातें भूलना यह तो आम बीमारी है, पर रोग भुलक्कड़ी आज के युग में एक महामारी है। मंत्री जी कहते थे ,"वोट पाकर भला करुंगा देश का, खुशियों से झोली भर दूंगा देश के हर गरीब का। सब को उनका हक दूंगा, आएगा धन स्विस बैंक का।" सत्ता पाकर भूल गए सब वादें, रोग लगा उन्हें भुलक्कड़ी ‌का। दरोगा जी ने ट्रेनिंग के वक्त ,शपथ लिया था देशभक्ति का। अनुशासन के डंडे से बुराइयों को दे मात , सेवा करूंगा जनशक्ति का। भर्ती के बाद जब वर्दी पहनी ,उन्हें ध्यान रहा बस सैलरी का। रिश्वत लेते वक्त सारी बातें भूल गए , रोग लगा उन्हें भुलक्कड़ी ‌का। बचपन में हमने सीखा था , "स्वच्छता और सफाई है कितनी जरूरी।" इनके अभाव में होते हैं रोग बड़े-बड़े, हो जाती है ज़िंदगी अधूरी। फिर भी हम जल ,हवा और धरती को गंदा करते हैं, नहीं सोचते देश का; बीमार हैं, परेशान‌हैं। पर याद नहीं वो सीखी बातें, हमें लगा रोग भुलक्कड़ी का।

प्रार्थना

 प्रार्थना  जहां गंगा का सम्मान नहीं। गौ माता का अपमान जहां। शिक्षा में गीता ज्ञान नहीं, है भक्ति भी व्यापार जहां। नेता जी का भाषण नकली। योजनाएं झूठी, वादे नकली। लगता है, अब सब कुछ नकली हे प्रभु, यदि तुम हो असली। यदि तुमने ही यह दुनिया रची। यदि तुम से ही यह सृष्टि बनी। तुम कहते हो ,"मैं संहार करता हूं, मैं तो सबकी पुकार सुनता हूं।" हे प्रभु सुन लो हमारी अरदास। बस तुमसे ही है, हमारी आस। या तो सब कुछ अच्छा कर दो। या ऐसे जग का संहार कर दो। ऐसी दुनिया बनाओ प्रभु जहां कोई झूठ ना हो ,दंभ ना हो, पाखंड ना हो। हर जीव आपस में प्रेम करे, कोई परपंच ना हो। बस यही है हमारी प्रार्थना ,इसे स्वीकार कर लो।