Posts

Showing posts with the label प्रेरणादाई निबंध

सुविचार

Image
 सुविचार सुविचार, गुलाब के फूलों की तरह हमारे जीवन में अपनी खुशबू फैलाते हैं जिससे हमें जीने की नई प्रेरणा मिलती है परंतु इससे हमारे जीवन में जो अच्छाइयां आती हैं वह कांटों की तरह किसी को चुभती भी हैं। हमें अपने जीवन को महकाने का प्रयास करना चाहिए,उनपर ध्यान नहीं देना चाहिए। सुविचार का अर्थ है सुंदर विचार ऐसे विचार जो आपके जीवन में परिवर्तन ला दें। किसी का कहा गया सुना गया अथवा पढ़ा गया एक भी सुविचार यदि हमने अपने जीवन में उतार दिया या उसके अनुरूप चलने की ठान ली तो निश्चित ही हमें उसका अच्छा परिणाम देखने को मिलता है। कुछ ऐसे ही सुविचार नीचे दिए गए हैं। आपको केवल सम्भव को संभालना है, असम्भव को नही। जो आप से आज और अभी हो सकता है बस उसे अपनी पूरी लगन, ताकत और प्रतिबद्धता से करना है। बाकी ईश्वर देखेंगे। उपर्युक्त सुविचार हमें प्रेरणा देता है कि हमें केवल वही करना चाहिए जो संभव हो सकता है। जो हमारे लिए संभव ही नहीं है उसके पीछे नहीं भागना चाहिए।जो वर्तमान में आप कर सकते हैं, उसे पूरी लगन और मेहनत के साथ करना चाहिए और परिणाम की चिंता भगवान पर छोड़ देनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने भी अर्जुन से

विद्यार्थी पंचलक्षणम्

 (शास्त्रों के अनुसार विद्यार्थियों में पांच मुख्य लक्षण होने चाहिए इस निबंध में विद्यार्थियों के उन पांचों लक्षणों का क्रम से वर्णन किया गया है।) विद्यार्थी पंचलक्षणम् विद्यार्थी जीवन,  जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय है। यह वह समय है, जब एक बालक अथवा बालिका सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि जीवन के लिए उपयोगी अनेक तथ्यों को सीखता है और अपने जीवन को ज्ञानमय और उपयोगी बनाता है। एक अच्छे विद्यार्थी को अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए। समय का सही उपयोग वही कर सकता है जो तन और मन से स्वस्थ हो तथा जिसके अंदर जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा हो। विद्यार्थियों में कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो उन्हें अन्य लोगों से अलग करते हैं। निम्नलिखित श्लोक में विद्यार्थियों के कुछ लक्षणों की चर्चा की गई है। काक चेष्टा  बको ध्यानं  स्वान निद्रा तथैव च । अल्पाहारी गृहत्यागी   विद्यार्थी पंच  लक्षणं।। उपर्युक्त श्लोक के अनुसार विद्यार्थी  कौवे की तरह दृष्टि, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद वाला होना चाहिए साथ ही वह कम आहार लेने वाला और घर से वैराग्य रखने वाला होना चाहिेए। यदि विद्यार्थी में यह 5 लक्षण हैं तो

श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने से लाभ

Image
 (इस आर्टिकल में श्रीमद्भगवद्गीता जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, संक्षिप्त में उसके सभी अध्याय का सार,उसके महत्व, उद्देश्य तथा उसे पढ़ने से जो लाभ मिलता है, उसके बारे में विस्तार से बताया गया है।) श्रीमद्भगवद्गीता क्या है? श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म के सभी ग्रंथों एवं पुराणों का निचोड़ है। जिसने भगवत गीता को पढ़ लिया और उसे समझ लिया, मानो उसने सभी पुराणों और ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इसमें जीवन के अनेक रहस्यों का ज्ञान छिपा हुआ है। श्रीमद्भगवद्गीता अर्जुन को दिया हुआ श्री कृष्ण का निष्काम भक्ति का वह संदेश है, जो सभी मनुष्यों के लिए उपयोगी है। इसे पढ़ने से जीवन के लगभग सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। यह धर्मग्रंथ सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं बल्कि सभी धर्म के लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है। श्रीमद्भगवद्गीता के रचयिता कौन हैं? श्रीमद भगवद्गीता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला हुआ एक अमृत है , जिन्हें विष्णु  का अवतार माना जाता है। महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन मोह में पड़कर युद्ध से भागने लगता हैै तब उसका मुंह दूर करनेे के लिए भगवान उसे अलग-अलग बातें तथा उदाहरण देकर

ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी या बुरी(निबंध)

Image
 ( इस निबंध  में हम ऑनलाइन पढ़ाई की समीक्षा करेंगे, इसकी अच्छाई और बुराई , लाभ और हानि आदि को भली प्रकार समझेंगे तथा उस इसकी कमियों को कैसे दूर किया जाए इस पर विचार करेंगे।) ऑनलाइन पढ़ाई का अर्थ ऑनलाइन पढ़ाई शिक्षा का वह रूप है, जिसे हम कहीं भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम अनेक अनुभवी शिक्षकों द्वारा प्रदान की जा रही किसी भी विषय वस्तु के ज्ञान को बिना किसी संस्था में गए कहीं से भी ग्रहण कर सकते हैं। आधुनिक समय में सब कुछ डिजिटल  होता जा रहा है, क्लास रूम से लेकर ब्लैकबोर्ड तक आज डिजिटल रूप ले चुका है। इन के माध्यम से हमें अनेक कठिन प्रश्न आसानी से समझ में आ जाते हैं। इस प्रकार ऑनलाइन पढ़ाई में डिजिटल क्लासरूम, शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के लिए ही वरदान सिद्ध हो रहे है। ऑनलाइन पढ़ाई का इतिहास जब से कंप्यूटर और मोबाइल के नए नए वर्जन का अविष्कार होता गया, इसी के साथ साथ शनै शनै ऑनलाइन पढ़ाई कभी विकास होता गया। सन 2020 में मार्च के महीने में जब कोरोनावायरस का कहर बढ़ गया, सभी स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण- संस्थानों को बंद करना पड़ा। तब इस ऑनलाइन

Catch the rain

Image
  कैच द  रेन-हिंदी नुक्कड़ नाटक कुंवर सिंह इंटर कॉलेज बलिया के स्काउट छात्रों द्वारा वर्षा के जल के संग्रहण हेतु जन जागरण के लिए अनेक प्रकार के नुक्कड़ नाटक बलिया जिले के विभिन्न दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर किए गए, जिससे लोग जागरूक हों, और जल का संरक्षण करें उसे बर्बाद ना करें। इन नाटकों की वीडियो नीचे दी गई है, प्रत्येक नाटक के वीडियो से एक नई प्रेरणा मिलती है तथा जल का महत्व हमारे जीवन में क्या है? यह भी पता चलता है। आज हम पानी की कीमत नहीं समझ पा रहे हैं, इसलिए उसे यूं ही बर्बाद करते रहते हैं, लेकिन समय के साथ-साथ पानी की कीमत भी बढ़ती जाएगी और एक दिन इतनी बढ़ जाएगी कि हम खरीद भी नहीं पाएंगे! पीने का पानी सोने से भी ज्यादा कीमती है, क्योंकि आपके घर में चाहे कितना भी सोना भरा हुआ हो ,लेकिन पानी ही आपकी प्यास बुझा सकता है!  सोने के बिना जीवन संभव है , पानी के बिना नहीं। जल ही जीवन है, जल है तो कल है इसे हमें आज नहीं तो कल समझना ही होगा, जितनी जल्दी समझ जाए उतना ही अच्छा होगा। जल को व्यर्थ मेंं बहाने के लिए लोगों केेेेे पास बहाने बहुत हैैं, लेकिन बहाने बनाने से अच्छा है, हम अपने आने वाली

खेल का महत्व

 (इस आर्टिकल में खेल की परिभाषा, प्रकार के साथ हमारे जीवन में खेल का महत्व बतलाया गया है, जिसे जानकर खेलों के प्रति हमारी रुचि अवश्य ही बढ़ेगी।) खेल की परिभाषा  खेल से तात्पर्य है, मन बहलाव के लिए की जाने वाली चेष्टा अथवा क्रीडा। मन हमारे शरीर का एक अदृश्य किंतु अभिन्न अंग है, शरीर के पोषण के साथ-साथ अपने मन को भी प्रसन्न रखने के लिए हम अनेक क्रियाकलापों को करते हैं। उनमें से अनेक क्रियाकलाप खेल का ही रूप हैं। इसके अनेक प्रकार तथा कई नाम है, आइए हम उन्हें जानें। खेल का अंग्रेजी नाम खेल को अंग्रेजी में sport तथा game भी कहते हैं। खेल का हिंदी नाम खेल को हिंदी में अठखेली, विहार, विनोद तथा करतब आदि अनेक नामों से जानते हैं। खेल के प्रकार खेल के कई प्रकार हमें देखने को मिलते हैं। खेल के ये प्रकार  हम खेले जाने वाले स्थान, प्रतियोगिता, समय जैसे आधारों के अनुसार अनेक नामों से प्रचलित हैं। खेले जाने वाले स्थान के अनुसार खेलों का नाम कोई भी खेल हम कहां खेलते हैं, घर में, कार या बस में बैठे-बैठे अथवा किसी मैदानी स्थान पर। इस बात को ध्यान में रखते हुए खेल को outdoor games तथा indoor games नामों

मूर्ख गधा

Image
 मूर्ख गधा-हिंदी कहानी (यह एक मूर्ख गधे की कहानी है, जिसे अपनी मूर्खता पर अंततः पछताना पड़ता है।) एक गांव में एक व्यापारी रहता था, वह अपने सामान को शहर में स्थित बाजार में बेचने जाया करता था। अपना सामान ले जाने के लिए उसने एक गधा पाल रखा था। उस गधे की पीठ पर सामान लादकर वह अपने सामान को बेचने जाता था। जिस रास्ते से व्यापारी बाजार जाता था, रास्ते में एक नदी पड़ती थी, कमर तक पानी से होते हुए उस नदी को पार करके वह व्यापारी अपने गधे के साथ बाजार जाता था। रोज-रोज भारी सामान लाद कर ले जाने से गधा परेशान हो चुका था। वह गधा एक दिन थक कर पानी के बीच धार में जाकर बैठ गया, जब उठा तो उसे बोझ हल्का लगा, क्योंकि अधिकतर सामान पानी में बह चुका था। अब वह रोज- रोज ऐसा ही करने लगा। व्यापारी का सामान नुकसान होने की वजह से वह बहुत दुखी था। उसने गधे को सबक सिखाने की ठान ली। एक दिन व्यापारी ने गधे की पीठ पर कपास का बोझ बहुत अच्छी तरह बांध दिया, वह उसे बहुत हल्का लग रहा था। रोज- रोज की तरह वह फिर पानी के बीच में जा बैठा। लेकिन आज उसका बोझ कम होने की बजाय बढ़ गया। व्यापारी उसे आगे चलने के लिए उठाता रह गया, लेक

आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।

  (इस आर्टिकल में आलस्य को जीवन की असफलताओं का कारण बताते हुए उससे बचने और आलस्य को दूर करने के उपायों को निर्दिष्ट किया गया है।) आलस्य क्या है? किसी काम को करने के लिए मानसिक चेतना का अभाव ही आलस्य है। अर्थात यदि हमें कोई काम दिया गया है या उसे करना हमारी ज़रूरत है, फिर भी हमारा उस में मन न लगना, कोई ना कोई बहाना बनाना, काम को आगे की ओर टालना इसे हम आलस्य का ही रूप कह सकते हैं। यह आलस्य दो प्रकार का हो सकता है। पहला शारीरिक रूप से थकावट के कारण, दूसरा दुष्ट प्रवृत्ति के विचारों के कारण। शारीरिक रूप से थकावट के कारण जो आलस्य होता है, उसे तो हम थोड़ा सा आराम करके और कुछ अन्य उपायों द्वारा आसानी से दूर कर सकते हैं, लेकिन यदि हमारे विचारों में ही आलस्य समाया हुआ है, तो यह किसी भी दवा द्वारा दूर नहीं हो सकता है। ऐसा व्यक्ति तो केवल ठोकर खाकर ही अपने आलस्य को भगा सकता है। हमारे जीवन में सफलता को प्राप्त करने के लिए जब दृढ़ निश्चय लिया जाता है, तो जीवन की सभी बुराइयों को जिसमें आलस्य भी शामिल है, उन्हें दूर कर देता है। वास्तव में आलस्य और सफलता दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। यदि हम आलस्य करते ह

कर्म ही पूजा है।

(इस आर्टिकल में "कर्म ही पूजा है।" इस वाक्य की व्याख्या दी गई है, इसके लिए भगवत गीता के एक प्रसिद्ध श्लोक एवं रामचरितमानस की एक चौपाई का संदर्भ सहित विवरण दिया गया है।) कर्म ही पूजा है। कर्म करना जीवन में हर किसी के लिए उसकी जरूरत भी है और आवश्यकता भी, क्योंकि बिना कोई कर्म किए कोई भी जीव, चाहे वह कितना ही सर्व समर्थ क्यों ना हो जीवित नहीं रह सकता। यदि किसी के पास जीवन में सब कुछ है , तो भी बिना कोई कर्म किए वह अपने जीवन का निर्वाह नहीं कर सकता। पशु -पक्षी से लेकर पेड़- पौधों तक को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कर्म करना ही पड़ता है। यदि पौधे सूर्य प्रकाश की मदद से अपना भोजन न बनाएं, यानी अपना कर्म ना करें, तो उन पर आश्रित अन्य जीव भी अपने जीवन को चलाने का कर्म संचालित नहीं कर पाएंगे। कोई भी हो, उसे अपने जीवन निर्वाह एवं दूसरों को सहयोग करने के लिए कर्म करना अनिवार्य है। इसलिए कहा गया है, कि "कर्म ही पूजा है।"             भगवान भी मनुष्य के किए गए कर्मों से ही प्रसन्न होते हैं। किसी भी धर्म में अच्छा कर्म करने पर ज़ोर दिया गया है, क्योंकि अच्छा कर्म मनुष्य को सन

सड़क सुरक्षा नियम

  (इस आर्टिकल में कुछ सड़क सुरक्षा नियमों के बारे जानकारी  दी गई है, जिसका पालन करना सभी के लिए जरूरी है। सड़क सुरक्षा नियम सड़क सुरक्षा नियम वे नियम हैं, जिनका पालन सड़क पर चलने वाले या वाहन चलाने वाले हर व्यक्ति को सावधानी एवं विवेक के साथ प्रयोग में लाना चाहिए। यदि इन नियमों का सही सही पालन हर कोई करे, तो दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। आज भारत में प्रतिवर्ष लगभग1.5 लाख से अधिक लोगों की वाहन दुर्घटना द्वारा मृत्यु हो जाती है, जो कि एक चौका देने वाला आंकड़ा है। अतः हमें ना सिर्फ उन नयमों का जानना जरूरी है, बल्कि उनका पालन करना भी उतना ही  ज़्यादा जरूरी है। वाहन चलाने से पहले अथवा चलाते समय नशे का सेवन नहीं करना चाहिए- शराब पीकर गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है, जिसके लिए चालान एवं सजा का भी प्रावधान है। इसके बावजूद अधिकांश लोग शराब पीकर वाहन चलाते हैं, एवं दुर्घटना का शिकार बनते हैं तथा अन्य लोगों के लिए भी खतरा उत्पन्न कर देते हैं। लोगों में यह भ्रांति भी है, कि शराब या किसी प्रकार का नशा करने से एनर्जी लेवल बढ़ जाता है, लेकिन सच तो यह है, कि इससे होने वाली दुर्घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। शराब

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

Image
  मन के हारे हार है मन के जीते जीत मन हमारे शरीर का अदृश्य लेकिन सबसे महत्वपूर्ण इंद्रिय है।हम जब भी कोई काम सच्चे मन से करते हैं, उसका परिणाम बहुत अच्छा होता है। जब भी सच्चे मन से किसी को दुआ देते हैं, वह दुआ जरूर काम आती है। कोई व्यक्ति शरीर से चाहे कितना भी स्वस्थ हो, यदि उसका मन बीमार या उदास हो तो वह कोई भी काम इतनी अच्छी तरह नहीं कर सकता जैसे एक स्वस्थ मन वाला व्यक्ति कर सकता है। भगवान श्री कृष्ण ने भी मन के बारे में श्रीमद्भगवद्गीता में विस्तार से बताया है और उनका सबसे विख्यात श्लोक हमें अपने मन का किस प्रकार सही उपयोग करना चाहिए यह बताता है- " मन एव मनुष्याणां कारणम् बंधमोक्षयो:। बंधाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं स्मृतम्।। जिसका अर्थ है मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है। क्योंकि अगर मन काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, पाप आदि ऐसे विषयों में आसक्त है तो मनुष्य के लिए उसका मन बंधन का कारण बन जाता है। परंतु अगर  मन इन सभी विकारों से पूर्णतया दूर हो, तो यही मन हमारे मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है। अच्छे से अच्छे मनुष्य के अंदर यदि काम जैसा विकार जाग जाए, तो उसके चरित्र

खुदकुशी का विकल्प

 (अगर जीवन से परेशान होकर आपने खुदकुशी करने का फैसला कर लिया है तो यह आर्टिकल एक बार जरूर पढ़िए..) मानव जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक वरदान है ,हम सबके लिए । वैसे तो जीवन सुख- दुख का संगम है, पर कभी-कभी हम इतने ज़्यादा दुखी हो जाते हैं ;दुख की घड़ी इतनी कठोर होती हैं, कि हमअपना जीवन समाप्त करने का मन बना लेते हैं। ‍‌‌मन में यह इच्छा आती है,कि अब जी कर क्या करना है? अब जीवन में कुछ भी नहीं रहा !अगर ऐसा ख्याल आपको भी आ रहा हो, तो मेरे कहने पर खुदकुशी करने से पहले यह तीन काम जरूर करिएगा। (१)अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ बिताए हुए अच्छे पलों को याद करें ,उनकी फोटो को देखें और सोचें, कि हमारी मौत से उन्हें खुशी होगी या दुख? और अगर आपके दुख का कारण आपके अपनों की नाराजगी ही है, तो ‌याद रखिए अपने, अपनों से ज़्यादा देर नाराज नहीं रह सकते। कभी ना कभी उनकी नाराज़गी दूर होगी और वे अपने आपको ज़िंदगी भर कोसते रहेंगे ,कि हमारी इस छोटी- सी गलती के कारण कोई हमारा अपना, हमसे दूर चला गया । इसलिएथोड़ा समय बीतने दीजिए , इंतज़ार कीजिए, सब कुछ ठीक हो जाएगा। (२)समाज में रहने वाले अपने ही जैसे और लोगों से यदि