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Showing posts from October, 2021

बलिया एक सुंदर शहर

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 ( इस आर्टिकल में बलिया की सुंदरता का चित्रों के साथ वर्णन किया गया है।) बलिया एक सुंदर शहर बलिया बलिया उत्तर प्रदेश में स्थित एक जिला है, जिसका एक सुनहरा इतिहास है। लोग इसे बागी बलिया भी कहते हैं। सबसे पहले स्वतंत्रता बलिया जिले को ही प्राप्त हुई थी और शायद इसी के कारण यह इतना सुंदर जिला है, आइए इसकी सुंदरता देखते हैं देखिए उपर्युक्त चित्र को, यह है हमारी बलिया की सुंदरता का एक दृश्य, इसे देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। इस चित्र को देखकर पता चलता है की हमारे योगी जी, जो गायों से बहुत ज़्यादा प्रेम करते हैं, उन्होंने गौ सेवा का कितना अच्छा इंतजाम करवाया है। इस दृश्य के अनुसार न तो गायों के भोजन की कमी है और ना ही रोजगार की और प्लास्टिक का तो कितना अच्छा उपयोग हो रहा है। इस दृश्य में आधा रोड कचरे के कारण जाम हो गया है। लेकिन देखने की बात यह है कि हमारे बलिया के लोग कितने बुद्धिमान है क्योंकि जैसे चींटी किसी भी बाधा के कारण नहीं रुकती अपना रास्ता बदल कर मंजिल तक पहुंच जाती है वैसे ही हमारे बलिया के लोग आधे रोड के जाम होने की परवाह नहीं करते और अपना रास्ता बना ही लेते हैं। वाकई! हमारा

विद्यार्थी पंचलक्षणम्

 (शास्त्रों के अनुसार विद्यार्थियों में पांच मुख्य लक्षण होने चाहिए इस निबंध में विद्यार्थियों के उन पांचों लक्षणों का क्रम से वर्णन किया गया है।) विद्यार्थी पंचलक्षणम् विद्यार्थी जीवन,  जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय है। यह वह समय है, जब एक बालक अथवा बालिका सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि जीवन के लिए उपयोगी अनेक तथ्यों को सीखता है और अपने जीवन को ज्ञानमय और उपयोगी बनाता है। एक अच्छे विद्यार्थी को अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए। समय का सही उपयोग वही कर सकता है जो तन और मन से स्वस्थ हो तथा जिसके अंदर जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा हो। विद्यार्थियों में कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो उन्हें अन्य लोगों से अलग करते हैं। निम्नलिखित श्लोक में विद्यार्थियों के कुछ लक्षणों की चर्चा की गई है। काक चेष्टा  बको ध्यानं  स्वान निद्रा तथैव च । अल्पाहारी गृहत्यागी   विद्यार्थी पंच  लक्षणं।। उपर्युक्त श्लोक के अनुसार विद्यार्थी  कौवे की तरह दृष्टि, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद वाला होना चाहिए साथ ही वह कम आहार लेने वाला और घर से वैराग्य रखने वाला होना चाहिेए। यदि विद्यार्थी में यह 5 लक्षण हैं तो

लालच के पुजारी (लघु कथा)

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 (' लालच के पुजारी' दहेज प्रथा पर आधारित लघु कथा है, यह लघुकथा आज के उन लोगों के लिए शिक्षाप्रद है, जो अपनी बेटी के लिए एक ही लड़का सुखी परिवार की तलाश में दहेज के लालची लोगों के घर में अपनी बेटी का विवाह करने को राजी हो जाते हैं।) ' जो दिखता है वो बिकता है 'यह बात सिर्फ निर्जीव वस्तुओं के लिए नहीं बल्कि इंसानों के लिए भी सत्य है। बलिया शहर के एक नामी मोहल्ले में एक छोटा-सा परिवार रहता था। पति-पत्नी एक लड़का रमेश और एक लड़की रूपा, परिवार में बस इतने ही लोग थे। इन्हें किसी बात की कमी भी नहीं थी क्योंकि घर के मुखिया की सरकारी सर्विस थी लेकिन यह जरूरी नहीं कि जिसे किसी बात की कमी ना हो वह संतोष से रहे, इस परिवार में भी लालच की कमी नहीं थी। मां ने अपने दोनों बच्चों को जीने के लिए जरूरी आवश्यक शिक्षा कभी दी ही नहीं क्योंकि खुद भी उसमें वैसे संस्कार नहीं थे। रूपा कद में 5 फीट से भी छोटी थी इसलिए उसके विवाह योग्य कोई वर जल्दी मिल नहीं रहा था। बड़ी कोशिशों के बाद एक गांव में एक अच्छे घर में उसका रिश्ता तय हुआ, मामूली खर्चे में उसकी शादी भी हो गई, लेकिन रूपा ससुराल में अधिक दिन

2nd October Gandhi Jayanti

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  2nd October Gandhi Jayanti 2 October is celebrated every year as the International Day of Non-Violence. In India, this day is a national holiday i.e. banks, offices, schools etc. remain closed. But like 15 August and 26 January, this day is also celebrated as a national festival. Let us find out more about why this day is so important. October 2, the birthday of the Father of the Nation Mahatma Gandhi and International Day of Non-Violence Mahatma Gandhi, whom we know as the Father of the Nation and Bapu, and who played an important role in getting the country's independence by following his non-violent rules, was the birthplace of the Father of the Nation, Mahatma Gandhi.Therefore, we celebrate this day as his birthday. It was Bapu who taught the whole world to follow the path of non-violence and gave the message that one can be defeated even while walking on the path of non-violence, so on this day  Biography of Mahatma Gandhi The full name of Mahatma Gandhi is Mohandas Karamcha

2 अक्टूबर (गांधी जयंती)

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 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) 2 अक्टूबर प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी (national holiday) होता है अर्थात बैंक, कार्यालय, विद्यालय आदि बंद रहते हैं लेकिन 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह इस दिन को भी एक राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है। यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है, आइए हम इसकी अधिक जानकारी प्राप्त करें। 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस एवं अंतरष्ट्रीय अहिंसा दिवस महात्मा गांधी जिन्हें हम राष्ट्रपिता और बापू के नाम से जानते हैं, और जिन्होंने अपने अहिंसात्मक नियमों पर चलते हुए देश को आज़दी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,  उन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को ही हुआ था। अतः इस दिन को हम उनके जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। बापू ने ही पूरी दुनिया को अहिंसा के पथ पर चलना सिखाया था और यह संदेश दिया था की अहिंसा के पथ पर चलते हुए भी किसी को हराया जा सकता है इसलिए इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जीवन परिचय महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी