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Showing posts with the label स्वास्थ्य संबंधी निबंध

कैंसर के लक्षण कारण एवं उपचार

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 (इस आर्टिकल में हम कैंसर के सभी प्रकारों के बारे में, वास्तव में कैंसर का क्या कारण है तथा किसी भी प्रकार के कैंसर को कैसे हम अपने भोजन और दिनचर्या में सुधार करके ठीक कर सकते हैं इन सभी बातों को जानेंगे।) कैंसर किसे कहते हैं? जैसे पेड़ों के पत्ते मुरझाकर नीचे गिरते रहते हैं तथा उनके स्थान पर नए पत्ते आते रहते हैं। उसी प्रकार मानव शरीर में भी अनेक ऐसी कोशिकाएं हैं, जो हर मिनट मृत होती हैं, उनके स्थान पर नई कोशिकाएं भी उत्पन्न होती रहती है। शरीर में कहीं ना कहीं निरंतर कोशिका विभाजन का कार्य चलता रहता है। शरीर की नेचुरल इम्यूनिटी बेकार पड़ी कोशिकाओं को अशुद्ध रक्त अथवा अन्य उत्सर्जी पदार्थों के माध्यम से बाहर निकालती रहती है। कुछ कारणों से जब हमारी इम्यूनिटी कमज़ोर पड़ जाती है तभी कैंसर जैसी अवस्था का जन्म होता है। लेकिन "ऐसी अवस्था, जिसमें मृत कोशिकाओं की संख्या किसी एक अंग अथवा स्थान पर आवश्यकता से अधिक मात्रा में बढ़ने लगे, तब इस अवस्था को ही कैंसर कहा जाता है।"यह कैंसर साधारण भी हो सकता है और जानलेवा भी। कैंसर कितने प्रकार का होता है? जिस किसी भी अंग में मृत कोशिकाओं की स

बच्चों के लिए योग

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 (इस आर्टिकल में बच्चों के लिए आवश्यक योग, व्यायाम के महत्व एवं योग एवं प्राणायाम के कुछ नियमों के बारे में जानकारी दी गई है, वीडियो एवं चित्र की सहायता से इसे समझाया गया है।) बच्चों  के लिए योग बच्चे देश का भविष्य हैं, उन्हें तन- मन से स्वस्थ एवं मजबूत होना चाहिए। तन और मन को स्वस्थ रखने में संतुलित आहार के साथ खेल-कूद, योग, प्राणायाम, व्यायाम तथा विभिन्न प्रकार की प्रतिस्पर्धात्मक गतिविधियां सहायक होती हैं। योग एवं प्राणायाम तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने में विशेष रुप से सहायक होते हैं। इन्हें अच्छी तरह सीखकर नियमित इनका अभ्यास करने से बच्चे निश्चित ही स्वस्थ एवं मेधावी बनते हैं। बच्चों के लिए योग का महत्व? आजकल बच्चे अधिकतर सिर्फ घरों में ही रहते हैं , बाहर खेलने नहीं जा पाते इसके अनेक कारण हो सकते हैं , लेकिन यह बच्चों के विकास के लिए बाधक है । योग एवं प्राणायाम करने से घर में रहकर भी बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास बिना किसी बाधा के होता रहता है। स्फूर्ति बनी रहती है। स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। इस प्रकार चुस्त शरीर एवं प्रखर स्मरण शक्ति के साथ बच्चे मेधावी होते हैं तथा जीवन की चु

कोरोना में काढा कितना असरदार?

 (इस आर्टिकल में प्राकृतिक चीजों से बनाए हुए काढ़े कितने असरदार होते हैं तथा किस-किस  बीमारियों को ठीक कर सकते हैं, इसके बारे में जानेंगे) कोरोना में  काढ़ा कितना असरदार? कोरोना आज के समय में एक ऐसी महामारी बन गई है, जिससे बचने के लिए अपने रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। कोई नहीं जानता कि उसकी मृत्यु कब किस रूप में आएगी, लेकिन मृत्यु के हर रूप से सुरक्षित रहने की कोशिश सभी करते हैं। आज के समय में कोरोना भी मृत्यु का एक रूप बन  गया है। कोरोनावायरस से बचने के लिए हमें  मास्क का सही प्रयोग  करना चाहिए। अपने आसपास के परिसर और अपने हाथों की साफ - सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।  किसी भी बीमारी से हमारी रोगप्रतिकारक क्षमता हमारी रक्षा करती है। अतः इसे बढ़ाने के अनेक उपाय करने चाहिए। कच्ची सब्जियों और फलों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए। लेकिन इन सबके साथ प्राकृतिक और घरेलू चीजों से बने काढ़े का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। यह चाय का भी एक अच्छा विकल्प है। गिलोय का काढ़ा गिलोय पूरे भारतवर्ष में मिलने वाली एक बेल है, इसे गुड़ुच, अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। य

रोग प्रतिकारक क्षमता (इम्यूनिटी)

 (इस आर्टिकल में रोगप्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने के कुछ उपाय तथा इसे सुरक्षित रखने के बारे में बताया गया है।) रोगप्रतिकारक क्षमता (immunity) रोग प्रतिकारक क्षमता का तात्पर्य उस शक्ति से है, जो हर जीव के भीतर बाहर से आक्रमण करने वाले जीवाणु (bacteria), विषाणु(virus) आदि से रक्षा करती है। ईश्वर ने हर जीव मात्र को शरीर देते समय उसमें एक  ऐसी क्षमता प्रदान की है, जो उसकी सुरक्षा कर सके। जैसे हर राज्य की एक सेना होती है, जो बाहरी आक्रमणों से उस राज्य की रक्षा करती है। उसी प्रकार हर जीव की रोग प्रतिकारक क्षमता उसे अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। जब कुछ कारणों से यह रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर पड़ जाती है, तो छोटे- बड़े संक्रमण हमें आसानी से लग जाते हैंं, जो कभी-कभी हमारे लिए घातक भी सिद्ध होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी रोग प्रतिकारक क्षमता, जिसे ईश्वर ने वरदान स्वरुप हमें दिया है, इसे मजबूत बनाएं, कमजोर ना होने दें। रोगप्रतिकारक क्षमता शरीर में कैसे काम करती है? हमारे शरीर में मुख से लेकर पेट तक अनेक ऐसे अंग हैं, जिनमें किसी ना किसी रूप में रोगप्रतिकारक क्षमता काम करती है। जब

अपनी रीढ़ की हड्डी(मेरुदंड, पीठ) को सीधा रखने का सही तरीका

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( किस आर्टिकल में हम अपने पीठ को सीधे पोस्चर में रखकर बैठने के तरीकों के बारे में तथा ऐसा न करने पर इससे होने वाली हानियों के बारे में जानेंगे।)  अपनी पीठ(मेरुदंड) को सीधा रखने का सही तरीका मेरुदंड अर्थात हमारी रीढ़ की हड्डी जो गर्दन से लेकर कमर तक होती है। यही हड्डी हमें चलने- फिरने में तथा वास्तव में हमारे शरीर को सीधा रखने में सहायक होती है। इस हड्डी में विकार होने पर हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों से बचने के लिए हमें कुछ विशेष बातों पर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए, लापरवाही करने से हमारा जीवन कष्टमय हो जाता है। आइए कुछ ऐसे ही विशेष बातों के बारे में जाने- हमें हर समय सीधा बैठने पर विशेष ध्यान देना चाहिए, सीधे बैठने का अर्थ है, हमारे गर्दन से लेकर कमर तक का हिस्सा सीधा हो। अतः हमें हर समय अपनी हर गतिविधि को नियंत्रण में रखते हुए, सीधा बैठने, सीधा सोने आदि बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कुछ लोग अपनी पीठ को झुका कर इसलिए  बैठते हैं, क्योंकि सीधा बैठने में उन्हें परेशानी महसूस होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारी नसों को झुके रहने की आदत पड़ जाती है

एक्यूप्रेशर चिकित्सा

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 ( एक्यूप्रेशर चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग है, इस आर्टिकल में हम इस चिकित्सा के प्रयोग विधि, लाभ एवं सावधानियों को जानेंगे।)  एक्यूप्रेशर चिकित्सा एक्यूप्रेशर दो शब्दों से मिलकर बना है, एक्यूस्+ प्रेशर। एक्यूज लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है सूई तथा प्रेशर अंग्रेजी शब्द है जिसका अर्थ होता है दबाव। इस प्रकार इसका शाब्दिक अर्थ हुआ-'सुई जैसी नुकीली चीज से दबाव डालना।' एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा प्रभावित अंग पर दबाव डालकर कई गंभीर बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन प्रभावित अंग के बिंदुओं का ज्ञान, सही दबाव आदि बातों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। तो आइए हम एक्यूप्रेशर से संबंधित सभी जानकारियों को सही प्रकार से समझे और जानें। एक्यूप्रेशर चिकित्सा का इतिहास एक्यूप्रेशर चिकित्सा लगभग 6000 वर्ष पुरानी चिकित्सा है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा को चीन देश में विशेष चिकित्सा पद्धति के रूप में अपनाया जाता है। वास्तव में यह चिकित्सा पद्धति प्राचीन भारतीय संस्कृति की देन है। सदियों से हमारे भारत के लोग शरीर के विभिन्न अंगों की मालिश को महत्व देते रहे हैं, ज

मधुमेह के लक्षण एवं विभिन्न उपचार विधियां

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(इस  आर्टिकल में मधुमेह, जो आज एक व्यापक एवं असाध्य रोग बना हुआ है, उसके लक्षण एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें यह बताया गया है, कि कैसे भोजन में सुधार करके, और एक्यूप्रेशर आदि पद्धतियों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।) क्या होता है मधुमेह? मधुमेह आज के समय का व्यापक स्तर में बढ़ता हुआ एक ऐसा रोग है, जो हमारी जीवन पद्धति में बदलाव के कारण और अधिक बढ़ता ही जा रहा है। आज 60 परसेंट से अधिक लोग इस रोग के मरीज बने हुए हैं। एक बार इसकी दवा शुरू हो जाती है तो जीवन पर्यंत उन दवाओं पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यदि इस बीमारी से हमें वाकई में दूर रहना है, तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा, कि आखिर यह मधुमेह होता क्या है? आइए जानें। हमारे शरीर को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्लूकोज यानी शुगर की जरूरत होती है, और यह शुगर हमें हमारे भोजन से मिलता है। अग्न्याशय यानी pancreas जो कि हार्ट के ठीक नीचे और पेट के ऊपर होती है, वहां बीटा सेल्स, इंसुलिन का निर्माण करते हैं। यही इंसुलिन भोजन से प्राप्त शुगर को पचाने में सहायक होते हैं, जिनसे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। अग्न्याशय

हार्ट अटैक(हृदयाघात) का कारण एवं उपचार

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        हार्ट अटैक का कारण एवं उपचार हमारे व्यस्त जीवनशैली, तनाव, खानपान की बुरी आदतों और व्यसन आदि के कारण हमारे देश में हार्ट अटैक जैसी जीवन को घात पहुंचाने वाली बीमारी बढ़ती ही जा रही है। विश्व के कुल हार्टअटैक के मरीजों में भारत के मरीजों की संख्या 60% अर्थात अन्य देशों से अधिक है। हार्ट अटैक से हमारे देश में प्रतिवर्ष लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं। हम या हमारा कोई अपना इस हार्ट अटैक के कारण ना मरे, इसलिए हम इस आर्टिकल में हार्ट अटैक के प्रमुख कारणों, उसके लक्षण, प्रकार तथा उसके आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, घरेलू एवं एक्यूप्रेशर आदि उपचारों के बारे में जानेंगे। हमारा हृदय ह्रदय यानी heart हमारे शरीर का ना थकने वाला, निरंतर कार्य करने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यूं कहिए, कि हमारे शरीर के अंगों में, हमारा हृदय उनका राजा है। ह्रदय तीन प्रकार की रक्त वाहिनियों से पूरे शरीर को रक्त की आपूर्ति कराता है, ह्रदय ही गंदे खून को शुद्ध करता है और पूरे शरीर में इस खून के माध्यम से हीऑक्सीजन, जल एवं अन्य पोषक तत्व सभी अंगों तक पहुंचते हैं। हमारे मन में आने वाले खुशी, दुख, हर्ष, विषाद आदि हम