आज का विद्यार्थी
(इस कविता में आज के विद्यार्थी के सपनों को पूरा करने तथा उनकी परेशानियों को दूर करने की प्रेरणा दी गई है।)
छोटी सी उमर में ही बस्ते का बोझ उठाकर
उज्जवल भविष्य का सपना आंखों में सजाकर
कई अनकही बातों को अपने डर तले छुपा कर
विद्यालय में पढ़कर अपने ज्ञान को बढ़ाने
देखो चला विद्यालय आज का विद्यार्थी।
अपने माता-पिता के आंखों का तारा
आने वाले उज्जवल भविष्य का उजियारा
शिक्षकों की आंखों का चमकता सितारा
सबकी उम्मीदों को पूरा करने
देखो चला आज का विद्यार्थी।
न जाने इसको, इसके योग्य विद्यालय मिलेगा कि नहीं?
न जाने इसके प्रश्नों को कोई शिक्षक सुनेगा कि नहीं ?
न जाने इसको, इसका लक्ष्य मिलेगा कि नहीं?
न जाने संघर्षशील, आदर्श विद्यार्थी बन पाएगा कि नहीं?
इन प्रश्नों के उत्तर की तलाश में
देखो चला आज का विद्यार्थी।
ऐ विद्यार्थी सुनो!
इतने सपने और प्रश्न लेकर आए हो
तो छोटी-सी किसी बात से निराश मत हो जाना।
शिक्षक से ज्ञान के साथ थोड़ी डांट भी मिलेगी,
इससे परेशान और हताश मत हो जाना।
हर दिन तुम्हारे गुणों और धैर्य की परीक्षा भी होगी
अपना आत्मविश्वास खोकर आहत मत हो जाना।
अगर तुम एक आदर्श विद्यार्थी बनकर पढ़ लोगे,
निश्चित ही देश का उज्जवल भविष्य बनोगे।
सपने जो देखे हैं तुमने उन सबको सच कर सकोगे।
और कुछ नहीं तो एक आदर्श नागरिक तो बनोगे।
अपने लिए संभव हर संभावना को साकार तुम करोगे।
अपनी ही नहीं औरों की भी,
समस्याओं का समाधान तुम करोगे।
मन में पूरा उत्साह भरकर आगे बढ़ो
आने वाले कल को तुम्हारा इंतज़ार है।
जीवन का कोई कार्य तुम्हारे लिए कठिन नहीं
इस बात पर हमारा पूरा ऐतबार है।
आओ अपने विश्वास से यह साबित कर दो
किसी से कम नहीं है आज का विद्यार्थी।
हम किसी से कम नहीं! |
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