बसंत पंचमी
(बसंत पंचमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस निबंध में इस त्योहार की विशेष बातों तथा सरस्वती पूजा एवं वंदना आदि की जानकारी दी गई है।)
बसंत पंचमी-एक विशेष पर्व
बसंत पंचमी भारत में प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह कभी जनवरी तो कभी फरवरी मास में पड़ता है। इसे 'रंगपंचमी' भी कहते हैं। इस दिन मौसम में एक विशेष प्रकार का उल्लास देखने को मिलता है। उत्तर भारत में वसंत पंचमी विशेष उल्लास के साथ मनाई जाती है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जो विद्या एवं कला की देवी हैं, उनकी विशेष रुप से पूजा -अर्चना की जाती है। धूप-दीप नैवेद्य आदि के साथ-साथ गुलाल से मां सरस्वती का स्वागत किया जाता है। बसंत पंचमी को विद्यारंभ करने का भी प्रावधान है। कई लोग इस दिन कलम की पूजा के दिन के रूप में भी मनाते हैं।
उत्तर भारत में बसंत पंचमी के दिन कई स्थानों पर पान्डाल सजाए जाते हैं, एवं उनमें माता सरस्वती की सुंदर एवं विशाल मूर्ति को 3 से 5 दिनों के लिए रखकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। प्रातः एवं संध्या दोनों समय घंटा और शंख ध्वनि के साथ माता सरस्वती की आरती की जाती है एवं यथासंभव प्रसाद का वितरण किया जाता है। 3 से 5 दिनों की अवधि समाप्त होने के पश्चात धूमधाम से मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
माता सरस्वती जो ज्ञान एवं कला की देवी हैं, हमें शुद्ध बुद्धि दें तथा हमारी वाणी को सार्थक वाणी बनने की क्षमता प्रदान करें।
इसी भाव से हर कोई माता माता से प्रार्थना करता है, एवं शीश झुकाकर उनसे आशीष प्राप्त करता है।
विद्यार्थीगण विशेष उल्लास के साथ माता सरस्वती की पूजा- अर्चना करते हैं।
करोड़ों की संपत्ति होते हुए भी जिसके पास माता सरस्वती की कृपा या यूं कहें , कि जिसके पास बुद्धि विवेक नहीं है, उसकी संपत्ति का वह सही तरीके से उपयोग एवं उपभोग नहीं कर सकता।
अत्यंत शक्तिशाली होते हुए भी जिसके पास बुद्धि की शक्ति नहीं है, तो उसकी शक्ति दूसरों के विनाश एवं उसके पतन का कारण बनती है।
अतः हम सभी को मां सरस्वती से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें बुद्धिमान एवं ज्ञानवान बनने का आशीष प्रदान करें।
विद्यार्थियों को अथवा जो विशेष विवेक शक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें मां सरस्वती के बीज मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए।
इस बीज मंत्र में एकाग्र शक्ति को बढ़ाने का अपार सामर्थ्य है।
मां सरस्वती का बीज मंत्र-- ओम ऐं नमः।
जो विद्यार्थी अपनी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें इस बीज मंत्र का अवश्य ही जप करना चाहिए। इस बीज मंत्र को 7 बार, 11 बार अथवा अपने समय की उपलब्धता के अनुसार 108 बार भी उच्चारण के साथ जप किया जा सकता है।
मन को एकाग्र करके, आंखों को बंद करके शांतचित्त होकर मानसिक रूप से भी इस बीज मंत्र को पढ़ा जा सकता है।
जो भी सरस्वती माता की शरण में आता है, माता उसे अवश्य ही अपना बालक जानकर उस पर अपनी कृपा करती हैं।
इसके अलावा सरस्वती वंदना जो संस्कृत भाषा का प्रसिद्ध श्लोक है, उसे भी सही उच्चारण के साथ पढ़कर अपनी एकाग्रता को बढ़ाने और सरस्वती माता की कृपा प्राप्त करने में प्रयोग किया जा सकता है। शुरू- शुरू में हर किसी से इसका शुद्ध उच्चारण नहीं हो पाता, लेकिन प्रतिदिन अभ्यास करने से शीघ्र ही इसका शुद्ध उच्चारण किया जा सकता है।
जो नास्तिक है, वास्तव में वह भी अपनी बुद्धि की क्षमता से ही आगे बढ़ पाता है, और वह क्षमता माता के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है। यदि कुछ और न कर सके, तो कोई भी काम करने से पहले अथवा पढ़ने से पहले मां सरस्वती को एकाग्रचित्त होकर नमन करने से ही हमें विशेष बुद्धिशक्ति प्राप्त हो जाती है।
It is very knowledgeable
ReplyDeleteIt is very knowledgeable
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