Posts

Showing posts with the label प्रार्थना

सरस्वती वंदना

Image
          ।।सरस्वती वंदना।। या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता। या वीणा वर दण्ड मण्डितकरा या श्वेत पद्मासना।। या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभि: देवै: सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष जाडया पहा।।1।। शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्। वीणा- पुस्तक- धारिणीमभयदां जाडयान्धकारापहाम्।। हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्। वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्।।2।। हिंदी अर्थ जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।।1।। शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अंधेरे क

प्रार्थना

 प्रार्थना  जहां गंगा का सम्मान नहीं। गौ माता का अपमान जहां। शिक्षा में गीता ज्ञान नहीं, है भक्ति भी व्यापार जहां। नेता जी का भाषण नकली। योजनाएं झूठी, वादे नकली। लगता है, अब सब कुछ नकली हे प्रभु, यदि तुम हो असली। यदि तुमने ही यह दुनिया रची। यदि तुम से ही यह सृष्टि बनी। तुम कहते हो ,"मैं संहार करता हूं, मैं तो सबकी पुकार सुनता हूं।" हे प्रभु सुन लो हमारी अरदास। बस तुमसे ही है, हमारी आस। या तो सब कुछ अच्छा कर दो। या ऐसे जग का संहार कर दो। ऐसी दुनिया बनाओ प्रभु जहां कोई झूठ ना हो ,दंभ ना हो, पाखंड ना हो। हर जीव आपस में प्रेम करे, कोई परपंच ना हो। बस यही है हमारी प्रार्थना ,इसे स्वीकार कर लो।