जय मच्छर महाराज (नाटक )
(यह एक नाटक की रूपरेखा है। जो मच्छर भगाने पर आधारित है।)
शीर्षक-मच्छरों से बचने का उपाय
दो भाई मच्छरों से बहुत परेशान रहते हैं कई उपाय करने के बाद भी मच्छरों मच्छरों से जब उन्हें राहत नहीं मिलती तब वे अंत में एक महात्मा के पास जाते हैं, जो वास्तव में एक ठग होता है। वह उन्हें एक मच्छर की फोटो देता है और उसकी पूजा और आरती करने के लिए कहता है, बदले में उसे दक्षिणा भी अच्छी खासी मिलती है।
दोनों भाई नियम से सुबह शाम मच्छर की पूजा आरती करते हैं।
मंत्र-"ओम मच्छर देवाय नमः"
हाथ जोड़कर हम सब करते, रोज तुम्हारा ही गुणगान।
जय- जय मच्छर महाराज जय- जय मच्छर महाराज।।
खून हमारा चूस-चूस करते हो, तुम दुनिया पर राज।
मार्टिन, कछुआ, गुडनाइट लेकर हम तो तुम्हें मनाएं आज।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
अद्भुत शक्ति है तुममें, जो करती है सबको हैरान।
डेंगू, मलेरिया के तुम दाता सब रोगों की तुम हो खान।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
कूड़े- करकट में तुम रहते, लेते हो गटर का स्वाद।
भन-भन, भिन-भिन गूंजता रहता, सदा तुम्हारा ही स्वर-नाद।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज ।।
शहर में फैली गंदगी ही, है तुम्हारा जन्म स्थान।
लोगों की ये उदासीनता, तुम्हें बनाए और महान।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
भूल चूक करो क्षमा हमारी, कर दो हमको तुम अब माफ
गंदा शहर ना रखेंगे हम, रखेंगे अब सब कुछ साफ।
जय- जय मच्छर महाराजा जय- जय मच्छर महाराज।
एक दिन दोनों भाईयों के गुरुजी (सर) उनके घर आते हैं और यह सब कुछ देख कर हैरान रह जाते हैं। वे उनसे कहते हैं कि यदि दोनों समय पूजा- आरती को छोड़कर आरती के अंत में जो बताया गया है, उसे वे लोग अगर फॉलो करें तो उन्हें मच्छरों से छुटकारा मिल सकता है क्योंकि वास्तव में यदि साफ-सफाई रखी जाए तो मच्छर भी कम या नहीं के बराबर उत्पन्न होंगे। दोनों भाई अपने गुरु जी को धन्यवाद करके अपने घर और आसपास सफाई अभियान शुरु कर देते हैं।
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