2 अक्टूबर (गांधी जयंती)

 2 अक्टूबर (गांधी जयंती)

2 अक्टूबर प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी (national holiday) होता है अर्थात बैंक, कार्यालय, विद्यालय आदि बंद रहते हैं लेकिन 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह इस दिन को भी एक राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है। यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है, आइए हम इसकी अधिक जानकारी प्राप्त करें।

2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस एवं अंतरष्ट्रीय अहिंसा दिवस


महात्मा गांधी जिन्हें हम राष्ट्रपिता और बापू के नाम से जानते हैं, और जिन्होंने अपने अहिंसात्मक नियमों पर चलते हुए देश को आज़दी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,  उन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को ही हुआ था। अतः इस दिन को हम उनके जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। बापू ने ही पूरी दुनिया को अहिंसा के पथ पर चलना सिखाया था और यह संदेश दिया था की अहिंसा के पथ पर चलते हुए भी किसी को हराया जा सकता है इसलिए इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी इमेज


महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. को पोरबंदर गुजरात में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। यह बचपन से ही एक होनहार विद्यार्थी थे। भारत में इन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका से वकालत की पढ़ाई पूरी की। इनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था। इन के चार बेटे थे।

राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका

महात्मा गांधी जिस वक्त साउथ अफ्रीका से भारत लौटे, भारत में राजनीतिक उथल-पुथल थी, चारों ओर अराजकता का माहौल था। वे 1915 ई. को भारत लौटे, तब से लेकर आजादी के समय तक उन्होंने निम्नलिखित आंदोलन में भाग लिया-

  1. 1917 में उन्होंने चंपारण में किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया क्योंकि वे प्लेग की महामारी के कारण लगान चुकाने में असमर्थ थे तथा अनावश्यक रूप से उनका शोषण किया जा रहा था।
  2. 1919 में उन्होंने रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन चलाने का निर्णय लिया।
  3. 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया जिसके अनुसार भारतीयों को अंग्रेज़ो को किसी भी काम में अपना सहयोग नहीं देना था। इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए सैकड़ों भारतीयों ने अंग्रेज़ी नौकरी से इस्तीफा दे दिया, अंग्रेज़ी विद्यालयों में पढ़ना-पढ़ाना बंद कर दिया। धीरे-धीरे यह आंदोलन अहिंसात्मक से हिंसात्मक की ओर बढ़ने लगा और इसी कारण 1922 में गांधी जी को यह आंदोलन वापस लेना पड़ा।
  4. 6 अप्रैल 1930 को दांडी यात्रा करके नमक कानून तोड़कर उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया। सविनय अवज्ञा का मतलब है विनय करते हुए अर्थात प्रेम पूर्वक किसी की बात ना मानना।
  5. 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया जिसमें उनका एकमात्र नारा था 'अंग्रेजों भारत छोड़ो'।
यह बिल्कुल सत्य है कि देश को आजाद करने में भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे हिंसा के पथ पर चलने वाले क्रांतिकारियों का बहुत बड़ा योगदान था लेकिन अहिंसा के पथ पर चलने वाले महात्मा गांधी के इन आंदोलनों के कारण ही अंग्रेजों की व्यवस्था भारत में डगमगाने लगी और अंत में 1947 में उन्होंने भारत को छोड़कर अपने देश लौटने का निर्णय ले लिया।

भारत का विभाजन और महात्मा गांधी

अंग्रेज़ो ने 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ाद करने का निर्णय ले लिया था लेकिन मोहम्मद जिन्ना और जवाहरलाल नेहरू के आपसी संघर्षों तथा अंग्रेज़ो की कूटनीतिक चाल के कारण भारत और पाकिस्तान इन 2 देशों में भारत का विभाजन होना निश्चित किया गया।भारत की आज़दी से महात्मा गांधी को अत्यंत प्रसन्नता थी लेकिन देश के विभाजन को वे स्वीकार नहीं करना चाहते थे। जिस समय देश आज़ाद हुआ और लोग खुशियां मना रहे थे, उस समय महात्मा गांधी ने अपने आपको एक अंधेरे कमरे में बंद रखा था क्योंकि वे इसे अधूरी खुशी मानते थे। उनका कहना था कि अंग्रेज़ो की कूटनीतिक चाल के कारण भारत और पाकिस्तान की दोनों देश निरंतर संघर्ष करते रहेंगे जिसके कारण भारत कभी भी अपना संपूर्ण विकास नहीं कर पाएगा।

महात्मा गांधी की मृत्यु

30 जनवरी 1948 को देश की आजादी के 6 महीने बाद जब महात्मा गांधी ने अपने आप को अंधेरी और गुमनाम ज़िंदगी से बाहर निकालने की कोशिश की, उसी समय कुछ अराजक तत्वों ने उनके हत्या की षड्यंत्र रच दी। इसी के फलस्वरूप नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। इस दिन को आज भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।


महात्मा गांधी के कुछ नियम

महात्मा गांधी अहिंसा और धर्म के पुजारी थे। राम नाम में उनका अटूट विश्वास था। उनका मानना था कि भारतीयों की उन्नति के लिए उनमें स्वदेशी वस्तुओं का प्रेम आवश्यक है इसलिए वे स्वयं ही चरखे से सूत कातने का कार्य किया करते थे, उनका कहना था कि जब हम अपने देश में बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे तभी हमारा देश उन्नत और संपन्न बनेगा।

अहिंसा का पथ उन्हें अत्यंत प्रिय था, उनके अनुसार अहिंसा के पथ पर चलते हुए यदि कोई स्वयं कष्ट सहकर दूसरों को कोई हानि ना पहुंचाएं तो इससे सामने वाले का हृदय परिवर्तन हो जाता है तथा वह स्वयं ही हिंसा करना छोड़ कर प्रेम का पथ अपना लेता है।

गांधीजी समय के बहुत पक्के थे, वे अपना हर कार्य समय पर पूरा करते थे। अपने आश्रम में उन्होंने ऐसे कठोर नियम बना रखे थे कि यदि कोई समय के बाद आश्रम में लौटे तो उसे भोजन भी ना प्राप्त हो।

गांधी जी का मत था कि हमें सदैव अपना कर्म करते रहना चाहिए और अपना कर्म करते हुए अपने प्रभु को याद करते रहना चाहिए इससे हमारा मन शांत रहता है तथा अनेक प्रकार के द्वंद्वों से मुक्त रहता है।


चक्की पर सूट काटते हुए गांधी जी का भजन प्रेम से गाया करते थे...
     रघुपति  राघव  राजाराम, पतित  पावन  सीताराम।
     ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान!




 2 अक्टूबर लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म दिवस

2 अक्टूबर के दिन 1904 ई.को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के स्वतंत्रता के लिए अनेक आंदोलनों में सहयोग किया तथा आजादी के बाद वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री चुने गए थे। इन्होंने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था।


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