(शास्त्रों के अनुसार विद्यार्थियों में पांच मुख्य लक्षण होने चाहिए इस निबंध में विद्यार्थियों के उन पांचों लक्षणों का क्रम से वर्णन किया गया है।)
विद्यार्थी पंचलक्षणम्
विद्यार्थी जीवन, जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय है। यह वह समय है, जब एक बालक अथवा बालिका सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि जीवन के लिए उपयोगी अनेक तथ्यों को सीखता है और अपने जीवन को ज्ञानमय और उपयोगी बनाता है। एक अच्छे विद्यार्थी को अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए। समय का सही उपयोग वही कर सकता है जो तन और मन से स्वस्थ हो तथा जिसके अंदर जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा हो। विद्यार्थियों में कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो उन्हें अन्य लोगों से अलग करते हैं। निम्नलिखित श्लोक में विद्यार्थियों के कुछ लक्षणों की चर्चा की गई है।
काक चेष्टा बको ध्यानं स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणं।।
उपर्युक्त श्लोक के अनुसार विद्यार्थी कौवे की तरह दृष्टि, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद वाला होना चाहिए साथ ही वह कम आहार लेने वाला और घर से वैराग्य रखने वाला होना चाहिेए। यदि विद्यार्थी में यह 5 लक्षण हैं तो उसका विद्यार्थी जीवन, एक सफल विद्यार्थी जीवन माना जाता है। विद्यार्थियों के इन पांचों लक्षणों की अब हम विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे कि आखिर यह पांचों गुण है क्या और कैसे आएंगे?
काक चेष्टा-
काक चेष्टा का मतलब है कौवे की तरह पैनी नजर। कौवा चाहे जितनी भी ऊंचाई पर उड़ रहा हो मगर उसकी दृष्टि सदा अपने लक्ष्य अर्थात भोजन की तलाश में रहती है, जैसे ही वह भोजन को देखता है सावधानीपूर्वक उसे प्राप्त कर लेता है।
विद्यार्थी को भी शिक्षा को प्राप्त करने के लिए ऐसी ही चेष्टा की आवश्यकता है। विद्यार्थी जहां भी रहे उसकी दृष्टि ज्ञान प्राप्ति पर टिकी रहे और जब भी उसे ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिले वह उसे सावधानीपूर्वक ग्रहण करे।
बको ध्यानम
बको ध्यानम से तात्पर्य है 'बगुले की तरह ध्यान लगाने वाला' , जैसे एक बगुला एक तपस्वी की तरह जल में एक पैरों पर खड़ा होकर ध्यान मग्न रहता है लेकिन जैसे ही उसे कोई शिकार दिखता है, वह उसे झट से प्राप्त कर लेता है। विद्यार्थी को भी सदैव शांत एवं ध्यान मगन रहना चाहिए लेकिन जैसे ही विद्या प्राप्त करने के लिए कोई अवसर मिले उसे चपलता से ग्रहण करना चाहिए।
स्वान निद्रा
स्वान निद्रा से तात्पर्य है, 'कुत्ते की तरह नींद लेने वाला'। एक विद्यार्थी की नींद ऐसी होनी चाहिए कि यदि कोई उसे जगाए तो तुरंत उसकी नींद खुल जाए, जब भी जरूरत पड़े वह निद्रा को छोड़कर अधिक से अधिक अपना ध्यान अपने काम पर और विद्या ग्रहण में लगाए। कुत्ता सदैव जागता रहता है केवल वह तभी होता है, जब वह आवश्यकता से अधिक थक जाए और ऐसी नींद सोता है कि जैसे ही कोई आहट मिले उसकी नींद खुल जाती है। विद्यार्थी को भी ऐसे ही सजग और सतर्क होकर अपनी नींद लेनी चाहिए।
अल्पाहारी
अल्पाहारी का अर्थ है 'अल्पाहार लेने वाला' अर्थात कम भोजन करने वाला। विद्यार्थी को अल्पाहारी अर्थात कम भोजन करने वाला होना चाहिए क्योंकि यदि वह भरपेट भोजन कर लेगा तो उसमें आलस्य आएगा और आलस्य के वशीभूत होकर वह अपने अध्ययन को तथा विद्या ग्रहण के कार्य को पूर्ण नहीं कर पाएगा। इसलिए विद्यार्थी को पहले तो कम भोजन करना चाहिए और भोजन में भी उसे सात्विक आहार ही लेना चाहिए अधिक तेल मसाला आदि से बनी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे आहार का पाचन ठीक ढंग से नहीं हो पाता और ऐसा होने पर स्मरण शक्ति पर इसका बुरा असर पड़ता है।
गृहत्यागी
गृह त्यागी से तात्पर्य है 'घर को त्याग देने वाला' अर्थात अपने सगे-संबंधियों आदि से अधिक मोह ना रखने वाला। यदि विद्यार्थी को अपने घर-परिवार से अधिक लगाव होगा तो वह उन्हीं को प्रसन्न करने में अथवा अपने संबंध की भूमिका निभाने में व्यस्त रहेगा, इससे उसका अध्ययन कार्य बाधित होगा। पूर्व समय में तो घर से दूर रहकर गुरुकुल में विद्या ग्रहण की प्रथा थी लेकिन आधुनिक समय में यह प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी है और विद्यार्थी को घर में रहकर ही विद्या ग्रहण करना होता है। एक विद्यार्थी घर में रहकर भी एक ग्रहत्यागी की भांति अपने घर परिवार से अधिक लगाव ना रखकर यदि अपनी पढ़ाई पर, अपने अध्ययनकार्य पर ध्यान देगा तभी वह एक सफल विद्यार्थी जीवन प्राप्त कर पाएगा।
विद्यार्थी को उपर्युक्त पांचों गुण प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?
एक अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए तथा उपर्युक्त विद्यार्थी के पांच लक्षण प्राप्त करने के लिए सबसे पहले तो विद्यार्थी को दृढ़ निश्चय के साथ संकल्प करना होगा कि उसे एक अच्छा और आदर्श विद्यार्थी जीवन व्यतीत करना है, इसके लिए चाहे उसे जो भी परिवर्तन करना पड़े वह करेगा। इसके अतिरिक्त उसे कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देना होगा आइए हम उन बातों को जानें--
भोजन में सुधार
हम जैसा भी अन्न खाते हैं उसी प्रकार हमारा मन और बुद्धि बन जाती है इसलिए एक विद्यार्थी को शुद्ध, सात्विक तथा सुपाच्य आहार लेना चाहिए। स्वाद के चक्कर में फंसकर बार-बार भोजन नहीं करना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि वह समय पर भोजन करे तथा भोजन में जो भी प्राप्त हो उसे चबा-चबाकर शांत मन से ग्रहण करे, इससे उसकी स्मरणशक्ति अच्छी रहती है। भोजन स्वाद के अनुसार ना करके स्वास्थ्य के अनुसार करे।
योगासन एवं व्यायाम
योगासन तथा व्यायाम करने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है तथा आलस्य दूर होता है साथ ही स्मरण शक्ति और कार्य क्षमता बढ़ती है। अतः एक अच्छे और आदर्श विद्यार्थी को प्रातः जल्दी उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर उसके लिए आवश्यक योगासन तथा प्राणायाम अवश्य करना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि यह योगासन और व्यायाम अच्छी प्रकार सीखने के बाद ही उसका प्रयोग करना चाहिए, गलत विधि से करने पर उसका परिणाम भी गलत ही होगा।
Comments
Post a Comment