सुविचार
सुविचार
सुविचार का अर्थ है सुंदर विचार ऐसे विचार जो आपके जीवन में परिवर्तन ला दें। किसी का कहा गया सुना गया अथवा पढ़ा गया एक भी सुविचार यदि हमने अपने जीवन में उतार दिया या उसके अनुरूप चलने की ठान ली तो निश्चित ही हमें उसका अच्छा परिणाम देखने को मिलता है। कुछ ऐसे ही सुविचार नीचे दिए गए हैं।
आपको केवल सम्भव को संभालना है, असम्भव को नही। जो आप से आज और अभी हो सकता है बस उसे अपनी पूरी लगन, ताकत और प्रतिबद्धता से करना है। बाकी ईश्वर देखेंगे।
उपर्युक्त सुविचार हमें प्रेरणा देता है कि हमें केवल वही करना चाहिए जो संभव हो सकता है। जो हमारे लिए संभव ही नहीं है उसके पीछे नहीं भागना चाहिए।जो वर्तमान में आप कर सकते हैं, उसे पूरी लगन और मेहनत के साथ करना चाहिए और परिणाम की चिंता भगवान पर छोड़ देनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने भी अर्जुन से गीता में कहा है, "हे अर्जुन तू केवल कर्म कर, फल की चिंता ना कर।"
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“यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए।
उपर्युक्त सुविचार हमे अपना अहंकार त्यागने के लिए प्रेरित कर रहा है। जब हमें किसी भी बात का अहंकार होता है तो हम सिर्फ मैं' अर्थात अपने आप की ही बातें करते हैं, दूसरों की बातों को ना सुनते हैं ना समझते हैं। इससे हमें प्यार करने वालों की संख्या कम हो जाती है इसलिए कहा जा रहा है कि यदि लोकप्रिय बनना हो तो सबसे ज्यादा आप अर्थात दूसरों के हित के बारे में सोचना चाहिए सामने वाले के बारे में बात करनी चाहिए। 'हम 'का प्रयोग कम और 'मैं' का प्रयोग सबसे कम करना चाहिए।
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लोग हमेशा किस्मत को ही दोष देते है यह नही सोचते बीज आखिर तो हमने ही बोया है।
उपर्युक्त सुविचार हमें किस्मत को दोष देने की बजाय अपने कर्मों को खंगालने की बात कर रहा है। अक्सर हमारे साथ जब भी गलत होता है तो हम अपनी किस्मत को ही दोष देते हैं जबकि सच तो यह है कि जो कुछ भी हो रहा है, हमारे पीछे किए गए कर्मों का ही परिणाम है इसलिए कहा जा रहा है कि जैसे लोग अपनी किस्मत को दोष देते हैं वैसे आप अपनी किस्मत को दोष ना दें बल्कि अपने कर्मों में सुधार करें ताकि आगे आपके साथ कुछ भी गलत ना हो।
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. नदी जब निकलती है,कोई नक्शा पास नहीं होता
कि "सागर"कहां है।नदी बिना नक्शे के सागर तक पहुंच जाती है।
इसलिए "कर्म" करते रहिये, नक्शा तो भगवान् पहले ही बनाकर बैठे है। हमको तो सिर्फ "बहना" ही है ।
उपर्युक्त सुविचार हमें कर्म करते रहने की प्रेरणा दे रहा है। जिस प्रकार जब कोई नदी हिमनद से निकलती है तो यह तय नहीं होता कि वह किस दिशा में जाएगी, नदी आगे बढ़ती जाती है और उसे रास्ता मिलते जाता है। इसी प्रकार यदि हम अच्छा कर्म करते जाएंगे तो हमें भी अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता मिलता जाएगा क्योंकि क्या होना है और क्या होगा, यह पहले से ही भगवान ने तय करके रखा है,हमें तो केवल उसके अनुसार अपना कर्म करना है।
Good thought
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