(इस आर्टिकल में रोगप्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने के कुछ उपाय तथा इसे सुरक्षित रखने के बारे में बताया गया है।) रोगप्रतिकारक क्षमता (immunity) रोग प्रतिकारक क्षमता का तात्पर्य उस शक्ति से है, जो हर जीव के भीतर बाहर से आक्रमण करने वाले जीवाणु (bacteria), विषाणु(virus) आदि से रक्षा करती है। ईश्वर ने हर जीव मात्र को शरीर देते समय उसमें एक ऐसी क्षमता प्रदान की है, जो उसकी सुरक्षा कर सके। जैसे हर राज्य की एक सेना होती है, जो बाहरी आक्रमणों से उस राज्य की रक्षा करती है। उसी प्रकार हर जीव की रोग प्रतिकारक क्षमता उसे अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। जब कुछ कारणों से यह रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर पड़ जाती है, तो छोटे- बड़े संक्रमण हमें आसानी से लग जाते हैंं, जो कभी-कभी हमारे लिए घातक भी सिद्ध होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी रोग प्रतिकारक क्षमता, जिसे ईश्वर ने वरदान स्वरुप हमें दिया है, इसे मजबूत बनाएं, कमजोर ना होने दें। रोगप्रतिकारक क्षमता शरीर में कैसे काम करती है? हमारे शरीर में मुख से लेकर पेट तक अनेक ऐसे अंग हैं, जिनमें किसी ना किसी रूप में रोगप्रतिकारक क्षमता काम कर...