कब तक डरते रहोगे ? (हिंदी कविता)
कब तक डरते रहोगे! (हिंदी कविता)
मानव जीवन है नश्वर, इस सत्य से
कब तक अनजान रहोगे?
किसी ना किसी रूप में, कभी ना कभी
मृत्यु तो वरण करेगी ही
कब तक डरते रहोगे?
युगों से मर- मरकर कितनी बार जन्म लिया है।
और हर जन्म में मृत्यु का वरण किया है।
मृत्यु विज्ञान से पहले भी थी,
विज्ञान के हर खोज के बाद भी रहेगी।
चाहे जो भी नाम रखो या इसे बेनाम रखो।
हाथ तो तुम्हारा थामेगी ही,
कब तक डरते रहोगे?
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