खुदकुशी का विचार, छोड़ो यार
होकर ज़िंदगी से मजबूर ,हो गए जो अपनों से दूर।
जाने क्यों ,उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा।
सिर्फ अपने बारे में सोच कर हो गए वे अपनों से दूर।
आंखों में आंसू लिए, अर्थी कोई सजाएगा उनकी
याद करके उनको सौ -सौ बार मरेगा
यह बात उन्होंने कभी न सोचा।
ज़िंदगी से भागने वालों को फिर ज़िंदगी नहीं मिलती।
भटकना पड़ता है प्रेत बनकर, जल्दी मुक्ति नहीं मिलती।
जिंदगी तो है महबूबा, रूठना -मनाना चलता रहता है।
रूठ कर चले जाने से, महबूबा की मोहब्बत नहीं मिलती।
जब भी आए खुदकुशी का विचार
याद करना अपनों का प्यार।
कैसे कोई अपनों से बिछड़ कर जीता है
करना इस पर भी विचार।
आज वक्त भले आप का साथ न दे
पर यह वक्त भी बीत जाएगा।
जब गम के बादल बरस जाएंगे
तभी तो खुशियों का उपवन सजेगा।
मेरी बातों को सोचो, बदलो अपना व्यवहार।
खुदकुशी का विचार, छोड़ो यार।
हो जाएगा अपने जीवन से प्यार।
कभी तो बसेगा तुम्हारा भी संसार।
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