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चुनाव का बदलता रूप

(इस आर्टिकल में चुनाव के स्वरूप में जो वीभत्स बदलाव हो रहे हैं उन्हें कैसे सुधारा जाए, इसकी चर्चा की गई है।)  चुनाव को एक लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रीय पर्व का दर्जा मिला हुआ है। एक लोकतांत्रिक देश को भली-भांति सुचारू रूप से चलाने के लिए यह एक प्रभावशाली शस्त्र की तरह काम करता है लेकिन आधुनिक समय में इसमें न चाहते हुए भी कुछ अवांछित बदलाव आते जा रहे हैं जिससे इसका प्रभावशाली रूप समाप्त होता जा रहा है। आइए उनमें से कुछ प्रमुख बिंदुओं की चर्चा की जाए। चुनाव के प्रचार लिए पैसे और संसाधनों का दुरुपयोग आजकल लगभग जिसके पास पैसा होता है वही चुनाव में खड़ा होने की सोच लेता है, समाज सेवा के लिए नहीं बल्कि इस पैसे को लगा कर चुनाव जीतने के बाद अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए। चुनाव में खड़ा होने के बाद अपनी जीत के लिए लोगों से लुभावने वादे करने और इन वादों का प्रचार करने के लिए लोगों तक अपने कार्यकर्ताओं को पहुंचाने, रेलियां करवाने आदि में अत्यधिक धन का खर्च होता है। यदि इस पैसे को समाज की सेवा में सीधे खर्च किया जाए तो कई लोगों का भला हो सकता है। 2. जाति और धर्म के नाम पर चुनाव का प्रचार आज क...

Worksheet for class UKG

Write the name of the picture . -🌧️= -🔥= -🌡️= -🌙= -🌏= - 🐇= -🥋= -📺= -🖥️= -🧷=

मुंडन समारोह (ओहार)

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 (यह लेख एक संस्मरण है, जिसमें लेखिका ने स्वयं के परिवार में हुए एक मुंडन समारोह का विस्तार से वर्णन किया है। गंगा मां के पावन घाट पर मुंडन समारोह का विधि-विधान के साथ परिचय इसमें दिया गया है।) उत्तर भारत में जब भी किसी हिंदू परिवार में किसी बालक या बालिका का जन्म होता है तो परिवार के लोग उस बालक या बालिका के बालों को गंगा माता को समर्पित करते हैं। गंगा माता को बच्चे का बाल समर्पित करने की दो विधियां प्रचलित हैं। 1. साधारण तरीके से बच्चे का बाल अर्पण (मुंडन) इस तरीके से बच्चे का मुंडन करने में कोई ज़्यादा खर्च नहीं करना पड़ता। परिवार के व कुछ और परिचित लोग गंगा माता के घाट पर जाते हैं और गंगा माता की पूजा करते हैं, उन्हें वस्त्र प्रसाद और पीठा आदि चढ़ाते हैं। और गंगा माता की पूजा में ही नाई से बच्चे के बाल कटवाकर उन्हें चढ़ा दिया जाता है। 2. धूमधाम से किया जाने वाला आर-पार बार-ओहार(मुंडन) इस तरीके से बच्चे का मुंडन करने में अधिक खर्च लगता है और पहले से ही योजना बनानी पड़ती है। इसमें बैंड-बाजे के साथ अधिक से अधिक लोग गंगा माता के घाट पर जाते हैं। इसमें सामग्री भी अधिक लगती है। आम के...

Model question paper for class test

 कक्ष परीक्षण(कक्षा 8) विषय- हिंदी (व्याकरण) अधिकतम अंक-10 निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए- (2) आग बबूला होना, खून पसीना एक करना, पोल खोलना, सांप को दूध पिलाना। प्रश्न-2. निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त विराम चिन्ह का प्रयोग कीजिए- (2) 1. क्या तुम्हारे पास पेन है 2. अरे तुम तो बड़े धोखेबाज हो 3. मैं अपने माता पिता की हर बात मानता हूं 4. राम ने श्याम से कहा तुम कितने अच्छे हो प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए- (2) कवित्री, कच्छा, गरहस्थ, किरपा। प्रश्न-4 निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (3) (क). विशेष्य किसे कहते हैं? (ख). वाच्य की परिभाषा लिखिए। (ग). अलंकार किसे कहते हैं? (घ). अव्यय के मुख्य रूप से कितने भेद होते हैं? उनके नाम लिखिए। प्रश्न-5. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- (1) (क). कर्म के आधार पर क्रिया के_______ भेद होते हैं। (ख).भूतकाल के_______ भेद होते हैं।

Model question paper for class test

 कक्ष परीक्षण (कक्षा 8) विषय- हिंदी (मेधा) अधिकतम अंक- 10 समय अवधि- 25 मिनट प्रश्न-1 निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए- ‌‌ (2) शैशवावस्था, निर्मम, घातक, निर्जीव। प्रश्न-2. निम्नलिखित पंक्तियों में छूटे शब्द भरिए- (2) तू _______मन की अति______, इनके कहे पति आयो। तेरे______ कछु भेद उपजिहै, जानि_______जायो। प्रश्न- 3. लिखिए कि निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे हैं- (1) (क).मज़ाक! मज़ाक तो आप अपने और लोगों के जीवन के साथ कर रहे हैं। (ख). चित्रों को नहीं, चित्रा को देखने आई थी। तुम तो एकदम भूल ही गई। प्रश्न 4. यदि आपका पड़ोसी पानी को बिना वजह बर्बाद करता है तो उसे रोकने के लिए आप अपनी तरफ से क्या करेंगे? (2) प्रश्न- 5. निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (3) (क). कवयित्री ने बालिका का परिचय पूछने वालों को क्या कहा है? (ख). बदरीनाथ से लौट कर आने पर लेखिका को क्या पता चला? (ग). पांडवों की विनम्रता को कौरवों ने क्या समझा? (घ). कैलाश को किस चीज़ का शौक था?

दहेज की आग

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 ( दहेज आज के समय में एक मुख्य समस्या बन गई है, यह कविता उसी समस्या के निवारण का संदेश देती है। ) कहते  हैं   जोड़ियां    बनाता    है   ऊपर वाला दो  दिलों  के  बंधन  को सजाता है  ऊपर वाला दूर देश के रहने वाले दो अनजान मुसाफिरों को, संग   में    साथ-साथ   चलाता है    ऊपर वाला। ऊपर वाले के किए हुए इस काम का क्रेडिट हम क्यों लेते हैं? इस खूबसूरत से रिश्ते को सजाने के लिए दहेज क्यों लेते हैं? और कोई रिश्ता बनने में तो कोई फीस और टैक्स नहीं लगता,  सिर्फ शादी के रिश्ते को  हम इतना महंगा क्यों   कर देते हैं? बेटी का पिता बेटी भी दे और दहेज भी बेटे का पिता लड़की भी ले और दहेज भी जाने किसने यह कठोर नियम बनाया? और हमने आंखें मूंदकर इसे अपनाया। शादी के बाद बेटी का पिता   कई साल तक बेटी की शादी के कर्जे चुकाता है,  बेटी खुशहाल रहे इसलिए  लड़के वालों के सामने झुकता ही चला जाता है। अरे लड़के वालों! अपनी हैसियत से ज्यादा मुंह खोलो मत। अच्छी लड़की मि...

संतोष: फलदायक:

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 (इस आर्टिकल में हम 'संतोष: फलदायक:' इस कथन की समीक्षा करेंगे और जानेंगे कि इसके अनुसार चलना जीवन में लाभप्रद है अथवा नहीं।) संतोष: फलदायक: ' संतोष: फलदायक: ' का अर्थ है संतोष अर्थात 'किसी चीज से तृप्त अथवा जितना हो उसमें तृप्त रहना लाभदायक होता है।'वास्तव में जिसे जीवन में जितना ही अधिक वस्तुओं की प्राप्ति होती जाती है, वह 'और चाहिए और चाहिए' की महत्वाकांक्षा से पीड़ित होता जाता है लेकिन ऐसा करना उसके लिए कई परेशानियों को जन्म देता है। एक महत्वाकांक्षी मनुष्य अथवा जीव ना सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी परेशान रहता है। इस प्रकार ना तो उसका वर्तमान जीवन सुखी रहता है ना ही मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति मिलती है, इसलिए शास्त्रों में कहा गया है, ' संतोष: फलदायक:'  जो भी मनुष्य इस विचारधारा को जीवन में अपनाकर अपने लिए निर्धारित सभी कार्यों को प्रसन्नता से करता है, वह अपने जीवन में हमेशा सुखी रहता है। संतोष: फलदायक: विचारधारा से जीवन में लाभ जो कोई भी श्रद्धा से इस बात को स्वीकार करता है कि उसके पास जितना है, उतने में वह संतोष के साथ जीवन...