हार्ट अटैक(हृदयाघात) का कारण एवं उपचार
हार्ट अटैक का कारण एवं उपचार
हमारे व्यस्त जीवनशैली, तनाव, खानपान की बुरी आदतों और व्यसन आदि के कारण हमारे देश में हार्ट अटैक जैसी जीवन को घात पहुंचाने वाली बीमारी बढ़ती ही जा रही है। विश्व के कुल हार्टअटैक के मरीजों में भारत के मरीजों की संख्या 60% अर्थात अन्य देशों से अधिक है। हार्ट अटैक से हमारे देश में प्रतिवर्ष लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं। हम या हमारा कोई अपना इस हार्ट अटैक के कारण ना मरे, इसलिए हम इस आर्टिकल में हार्ट अटैक के प्रमुख कारणों, उसके लक्षण, प्रकार तथा उसके आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, घरेलू एवं एक्यूप्रेशर आदि उपचारों के बारे में जानेंगे।
हमारा हृदय
ह्रदय यानी heart हमारे शरीर का ना थकने वाला, निरंतर कार्य करने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यूं कहिए, कि हमारे शरीर के अंगों में, हमारा हृदय उनका राजा है।
ह्रदय तीन प्रकार की रक्त वाहिनियों से पूरे शरीर को रक्त की आपूर्ति कराता है, ह्रदय ही गंदे खून को शुद्ध करता है और पूरे शरीर में इस खून के माध्यम से हीऑक्सीजन, जल एवं अन्य पोषक तत्व सभी अंगों तक पहुंचते हैं।
हमारे मन में आने वाले खुशी, दुख, हर्ष, विषाद आदि हमारे हृदय पर भी प्रभाव डालते हैं। हम खुश तो हमारा दिल भी खुश, लेकिन जब हमारे दिल को ही कष्ट पहुंचता है, तो हमारा पूरा जीवन ही खतरे में पड़ जाता है। क्योंकि ह्रदय हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसकी देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना बहुत जरुरी है।
क्या होता है हार्ट अटैक?
हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण है ब्लॉकेज जो कि हमारे हृदय की रक्त वाहिनियों में धीरे-धीरे धीरे बढ़ता है।हमारा ह्रदय शरीर के सभी अंगों से आए हुए अशुद्ध रक्त को शुद्ध करके फिर उन्हीं अंगों तक पहुंचाता रहता है। इसमें चार प्रकार की रक्त वाहिनियां प्रयोग में लाई जाती है, आर्टा नामक रक्त वाहिनी हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों को रक्त पहुंचाती है। तीन रक्त वाहिनियां ह्रदय अपने लिए उपयोग में लाता है, जिनसे उसे शुद्ध रक्त की आपूर्ति होती है, इन्हे coronary arteries कहते हैं। इनका आकार पेंसिल के आकार जितना चौड़ा होता हैै, इनमें internal membrane एक तरह का पर्दा होता है, इस पर्दे के नीचे कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड जैसे तत्वों की परत जमने लगती है, इसे ही ब्लॉकेज कहते हैं। जब यह परत मोटी हो जाती है और इसका पर्दा कमजोर हो जाता है, तो पर्दा फट जाता है। पर्दा फटने के कारण उसके भीतर जमा रसायन एवं गंदा ब्लड एक जगह जमा हो जाता है, वहां blood clotting हो जाती है, और हृदय को रक्त की उपलब्धि नहीं हो पाती। जहां रक्त की उपलब्धि नहीं हो पाती, वह हिस्सा मृत हो जाता है। ऐसे में निरंतर कार्य करने वाले ह्रदय के एक बड़े भाग में उसका काम रुक जाता है, और कभी- कभी तो पूरे हृदय की गति ही अचानक से रुक जाती है, इसे ही हम हार्ट अटैक कहते हैं।
हार्ट अटैक के प्रकार
हार्ट अटैक मुख्यत: तीन प्रकार का होता है। जो तीन arteries हार्ट को रक्त उपलब्ध कराती हैं , उनमें कुछ शाखाएं भी निकली होती हैं और इनका एक मुख्य द्वार भी होता है जहां से यह दाएं और बाएं भाग में बंट जाती हैं।
माइनर हार्टअटैक
जब किसी artery के एक छोटे से शाखा में ब्लॉकेज फटता है, तो इसे माइनर हार्ट अटैक कहते हैं। इस प्रकार के हार्टअटैक में व्यक्ति की मौत नहीं होती, केवल दर्द होता है और कभी-कभी तो पता भी नहीं चलता, कि हार्ट अटैक हुआ था, लेकिन इस प्रकार के हार्टअटैक में भी हृदय का एक छोटा सा हिस्सा मृत हो जाता है।
मेजर हार्ट अटैक
यह हार्टअटैक खतरनाक होता है एवं हृदय के एक बड़े हिस्से को मृत कर देता है। कभी-कभी तो इसमें व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। मेजर हार्ट अटैक आर्टरी के मुख्य शाखा में होता है। यह हार्ट अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है।
मैसिव हार्ट अटैक
यह हार्ट अटैक जहां से arteries शाखाओं में बंटती हैं, उनके मुख्य द्वार पर ही होता है इससे हृदय को अचानक से रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है एवं तुरंत मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार के हार्टअटैक में बचने के चांस बहुत कम होते हैं या बिल्कुल ही नहीं होते। कभी-कभी तो सोए -सोए या बैठे- बैठे ही अटैक आता है और वहीं मृत्यु हो जाती है।
कैसे जाने कि हार्ट अटैक हुआ है?
हृदय की धमनियों में लंबे समय से ब्लॉकेज बढ़ता रहता है और जब इस ब्लॉकेज की ऊपरी परत फटती है, तो हार्ट अटैक होता है। जब हार्ट अटैक होता है, तब अचानक पसीना छूटने लगता है, घबराहट होने लगती है, सांसों की गति बढ़ जाती है, छाती में ह्रदय के पास बहुत तेज दर्द होता है और कुछ भी करने की या चलने फिरने की हिम्मत भी नहीं होती।
यह सभी लक्षण यदि दिखे, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत ही डॉक्टर के पास ले जाने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही जो प्राथमिक उपचार हमें पता है उसे भी करना चाहिए।
हार्ट अटैक होने के प्रमुख कारण
हार्ट अटैक यूं ही हर किसी को नहीं हो जाता, इसके कुछ प्रमुख कारण भी हैं जिन्हें यदि हम जान लें, तो उन कारणों से दूर रहकर हार्ट अटैक के मरीज होने से बच सकते हैं।
ब्लॉकेज का बढ़ना
सामान्य रूप से ब्लॉकेज का अर्थ है, हमारी धमनियों में जमा हुआ कचरा, जो रक्त के प्रवाह में बाधा डालता है।
जब हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज बढ़ता ही जाता है और उसे कम करने का हम प्रयास नहीं करते, तो यह ब्लॉकेज ह्रदय के लिए घातक हो जाता है, इसलिए यदि हमें चलते समय या दौड़ते समय हृदय के पास दर्द का अनुभव हो, तो CT coronary, ECG यह सभी टेस्ट डॉक्टर की सुझाव से करवा के समय पर अपने ब्लॉकेज के बारे में जानना जरूरी है। ताकि समय पर हम उसका उपचार कर सकें।
कोलेस्ट्रॉल
आजकल हमारे भोजन में हम फास्ट फूड और जंक फूड यह सब ज्यादा लेने लगे हैं जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है एवं शरीर विभिन्न रोगों के चंगुल में फंस जाता है। यही बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय के लिए भी घातक हो जाता है और एक दिन हार्ट अटैक का कारण बनता है।
यह कोलेस्ट्रोल सिर्फ़ animal food जैसे दूध, दही ,मांस आदि में ही पाया जाता है। वनस्पतियों से निर्मित किसी भी भोज्य पदार्थ में कोलेस्ट्रोल नहीं पाया जाता।
ट्राइग्लिसराइड
ट्राइग्लिसराइड किसी भी प्रकार के तेल में पाया जाता है चाहे वह कितनी भी अच्छी क्वालिटी का तेल हो, उसमें ट्राइग्लिसराइड होता ही है। यह ट्राइग्लिसराइड हमारी धमनियों पर परत- दर- परत जमा होता जाता है और ब्लॉकेज को बढ़ाने में मदद करता है।
उच्च रक्तचाप ( हाई बीपी)
शरीर में वात, पित्त, कफ इन तीनों का संतुलन बिगड़ने से अथवा अत्यधिक क्रोध करने और भोजन की बुरी आदतों के कारण उच्च रक्तचाप जैसा रोग हो जाता है। उच्च रक्तचाप में रक्त नलिकाओं में कचरा या गंदगी जमा होते जाता है, जिससे इन नलिकाओं का व्यास कम होता जाता है, और हृदय की तरफ रक्त भेजने में इन नलिकाओं को बहुत दबाव बनाना पड़ता है। जिससे ह्रदय भी धीरे-धीरे अस्वस्थ होने लगता है और जब यह रक्तचाप आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है, तो कभी-कभी हार्टअटैक भी हो जाता है।
मधुमेह (डायबिटीज)
मधुमेह रोग में हमारे पेनक्रियाज में इंसुलिन की पर्याप्त निर्माण ना हो पाने के कारण शुगर का पाचन नहीं हो पाता। यह शुगर हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के आस- पास एकत्र होता जाता है एवं उनके कार्यों में रुकावट डालता है। यह शुगर हमारे हृदय पर भी घातक प्रभाव डालता है, और जब शरीर में शुगर की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, तब कभी-कभी इसी के कारण हार्ट अटैक भी हो जाता है।
अत्यधिक नशे का सेवन (smoking)
अधिक मात्रा में शराब का सेवन अथवा तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन हमारे शरीर में तरह-तरह के रोग उत्पन्न करता है। तंबाकू किसी भी रूप में जब हमारे रक्त नलिकाओं तक पहुंचता है तो यह उनमें चिपकने लगता है, क्योंकि यह sticky होता है और इसके ऊपर ब्लॉकेज बनने लगते हैं। यह ब्लॉकेज हृदयाघात का कारण बनते हैं।
तनाव(tension)
जब हम किसी भी प्रकार से अथवा किसी कारण से भी अधिक तनाव में रहते हैं तो इसका सीधा असर हमारे हृदय पर पड़ता है। अत्यधिक चिंता, क्रोध आदि के कारण हमारे शरीर में बहुत से हार्मोनल चेंज होते हैं, जो हृदय के लिए घातक होते हैं। कभी-कभी अधिक तनाव के कारण ही हार्ट अटैक हो जाता है।
वजन का बढ़ना
आवश्यकता से अधिक बढ़ा हुआ वजन हमारे हृदय के लिए नुकसानदेह होता है। इस बढ़ते वजन के कारण रक्त में कोलेस्ट्रोल भी बढ़ता है, जो हृदयाघात का कारण बनता है।
हार्ट अटैक आने पर क्या करें?
जैसे ही हमें हार्ट अटैक आने के लक्षण दिखें, तुरंत सचेत हो जाना चाहिए, लेकिन घबराना बिल्कुल नहीं चाहिए, क्योंकि जितना हम घबराएंगे उसका बुरा असर हृदय पर और बुरा होगा। हार्ट अटैक सिर्फ 1 मिनट में ही व्यक्ति की जान ले लेता है ऐसे में डॉक्टर के पास जाने की कोशिश तो करनी ही चाहिए लेकिन उस बीच कुछ उपायों को किया जा सकता है।
यदि हमारे पास कोई दवा उपलब्ध नहीं है, तो लाल मिर्च का सेवन उचित विधि से करना चाहिए। अन्य अनेक ऐसी औषधियां हैं ,जिन्हें आप यदि ह्रदय रोगी हैं, तो अपने पास रख सकते हैं। इसकी जानकारी हम आपको आगे देने जा रहे हैं।
ह्रदय रोग एवं हार्ट अटैक से बचने के लिए उपचार विधियां
हृदय रोग और हार्ट अटैक आज बढ़ता ही जा रहा है और इससे मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। यदि हम इसके बचाव के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली अनेक विधियों को अच्छे से जान लें, और उन्हें सही प्रकार से प्रयोग में ला सकें तो हम अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी जीवन दे सकते हैं।
घरेलू उपचार
हमारे घर का रसोईघर विभिन्न प्रकार की दवाओं का एक संग्रहालय है,जिनका सही समय पर, सही उपयोग हमें बहुत- सी बीमारियों से दूर भी रखता है और इमरजेंसी में हमारी जान भी बचाता है। आइए जाने कुछ ऐसी ही चीज़ो के बारे में।
लाल मिर्च
लाल मिर्च में कुछ ऐसे रसायनिक तत्व मौजूद हैं जो रक्त संचरण को बढ़ा देते हैं एवं हृदयाघात के समय हमारे प्राणों की रक्षा करते हैं।
जैसे ही हमें हार्ट अटैक के लक्षण दिखने लगे, तुरंत लाल मिर्च चबाना प्रारंभ कर देना चाहिए और इसके बाद गर्म पानी धीरे धीरे पीना चाहिए। यदि घर में घर की पिसी हुई लाल मिर्च है, तो उसे पानी में घोलकर चम्मच से दिया जा सकता है। हमारी जीभ पर पढ़ते ही यह लाल मिर्च खून में सीधा घुल जाता है एवं उसके संचालन को बढ़ा देता है, जिससे हृदय को रुकी हुई रक्त की आपूर्ति फिर से होने लगती है एवं एक बड़े संकट से हमारा हृदय बच जाता है।
लाल मिर्च का सेवन करने से हमें कठिनाई तो होगी, लेकिन यह हमारे लिए जीवनदायी भी होगा।
हल्दी
हल्दी का प्रयोग हम प्राचीन समय से ही औषधि के रूप में करते आए हैं, क्योंकि इसमें बहुत से एंटी टॉक्सिक पाए जाते हैं जो विभिन्न रोगों में हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
हल्दी शरीर में कहीं भी जमे हुए खून को पिघलाने में सहायक होती है इसलिए जब भी हमें चोट लगती है, तो हम हल्दी दूध का सेवन करते हैं। हृदय रोग में हल्दी का सेवन इसी कारण से लाभदाई माना जाता है। लेकिन हल्दी घर की पिसी हुई होनी चाहिए, बाजार की हल्दी में मिलावट होता है।
लहसुन
लहसुन की एक से दो कलियां रोजाना प्रयोग करने से यह हमारे रक्त में जमा कोलेस्ट्रोल आदि गंदगी को साफ करने में मदद करती है एवं शरीर के किसी भी हिस्से में यदि इन्फ्लेमेशन है, तो उसमें भी आराम पहुंचाता है। लहसुन का यह गुण हमारे हृदय के लिए भी लाभकारी होता है।
यदि खाली पेट लहसुन का प्रयोग करने से किसी को एलर्जी होती है, तो वह लहसुन की दो- तीन कच्ची कलियों को बारीक बारीक काटकर सब्जी जैसे व्यंजनों में मिलाकर कच्चा ही प्रयोग में ला सकते हैं।
अर्जुन की छाल का प्रयोग
अर्जुन वृक्ष की छाल हमें किसी भी पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाती है। यह हृदय रोग के लिए रामबाण औषधि है। इसकी छाल को पाउडर करके उसे हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। जब भी हार्ट अटैक की संभावना महसूस हो, इसे जीभ पर रखने मात्र से लाभ होता है।
अर्जुन की छाल को रोजाना एक चम्मच, गुनगुने पानी में घोलकर पीने से हार्ट की ब्लॉकेज धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं एवं हार्ट अटैक की संभावना नहीं रहती।
अर्जुन की छाल को चॉकलेट के टुकड़े की तरह काटकर रख लेना चाहिए एवं यदि हम उसे पाउडर नहीं कर सके तो उसका एक टुकड़ा रात को एक गिलास पानी में भिगोकर सुबह उस पानी को पी लेने से भी ह्रदय रोग में लाभ होता है।
होम्योपैथिक उपचार
होम्योपैथी के द्वारा अनेक असाध्य रोगों का उपचार किया जा रहा है। हृदय रोग के लिए भी होम्योपैथी में एक दवा है जिसका नाम है- aconite 200 CH. हार्ट अटैक के समय इस दवा का प्रयोग हमारेेेेे जीवन को बचा सकता है। होम्योपैथी के डॉक्टर से सलाह लेकर यह दवा हमेंं अपने पास रखनी चाहिए।
जैसे ही हार्ट अटैक के सभी लक्षण देखें, इस दवा की एक बूंद जीभ पर डालें और 5 मिनट बाद फिर से एक बूंद डालें। उसके बाद हृदय रोग के सभी लक्षणों में काफी हल्कापन आ जाता है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा
एक्यूप्रेशर पद्धति का सही उपयोग हमारे हृदय में उठ रहे दर्द को काफी हद तक ठीक कर देता है क्योंकि इस पद्धति में दर्द से संबंधित पॉइंट पर दबाव डालकर उस दर्द के स्थान को दर्द से राहत दिया जा सकता है।
जिस तरफ हार्ट होता है, उस तरफ के हाथ यानी बाएं हाथ में हार्ट का पॉइंट होता है, सबसे छोटी उंगली के ठीक नीचे। जैसा कि यहां चित्र में दर्शाया गया है। जब भी हृदय में दर्द का एहसास हो, इस बिंदु पर उपयुक्त दबाव डालना चाहिए। दबाव डालते समय इसके पीछे अपनी बाकी की उंगलियां सपोर्ट के तौर पर रखी जानी चाहिए।
भोजन के तुरंत बाद कोई भी पॉइंट नहीं दबाना चाहिए, इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है।
रोजाना 5 मिनट यदि हम अपने हाथ में स्थित हार्ट पॉइंट पर दबाव डालते हैं तो हमारे ह्रदय की कार्य क्षमता में सुधार होने में काफी मदद मिलती है।
ह्रदय रोग में परहेज
भोजन की आदतों में सुधार करके हम बहुत सी बीमारियों से बच सकते हैं और जब बात ह्रदय की हो, तो इसमें तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत ही ज़्यादा जरूरी है।
जैसे ही हमें हृदय रोग की आशंका हो, भोजन में वसा और तेल का सेवन बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यह ब्लॉकेज बढ़ाने में मदद करते हैं। सूखे मेवों का भी बहुत ही कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। यदि दूध का सेवन कर रहे हैं, तो उसके ऊपर की मलाई निकाल कर सादा दूध हल्दी के साथ प्रयोग में लाना चाहिए।
भोजन में सलाद, कच्ची सब्जियां जिन्हें हम खा सकते हैं, हरी पत्तेदार सब्जियां, हरी मिर्च, अंकुरित अनाज इनका सेवन बढ़ा देना चाहिए।क्योंकि हर रोगी की प्रकृति अलग-अलग होती है, और किसी-किसी को उपर्युक्त चीजों में से किसी चीज से एलर्जी भी हो, तो उसे अपने विवेक के अनुसार अपने भोजन में वही चीज़ लेनी चाहिए जो उसके रोगों को दूर कर सके और उसे नुकसान भी ना पहुंचाएं।
इन सभी चीजों के अलावा डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही हमें भोजन का सेवन करना चाहिए। हल्का और सुपाच्य भोजन ही लेना चाहिए।
हल्का व्यायाम एवं प्राणायाम
हृदय रोग का नाम सुनते ही हमें बिस्तर का मरीज नहीं बन जाना चाहिए बल्कि दर्द में आराम के साथ -साथ टहलना, घूमना आदि भी करना चाहिए।
सावधानी के साथ हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। यदि हृदय में चलने पर दर्द ना होता हो, तो अवश्य ही ठहलना चाहिए, हाथ -पैरों को गति देने वाले व्यायाम भी करनी चाहिए। परंतु यदि ह्रदय में अधिक दर्द हो रहा हो, तो ऐसे समय में किसी भी प्रकार की गति नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे हृदय पर और दबाव पड़ सकता है।
प्राणायाम करने से हृदय को शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति हो पाती है, जिससे वह जल्दी से स्वस्थ हो सकता है इसलिए अनुलोम विलोम, ओम का जाप अथवा गहरी सांस लेने का अभ्यास धीरे -धीरे किया जा सकता है।
ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
हृदय रोग अनुवांशिक भी हो सकता है इसे तो हम सिर्फ अपने सावधानियों और सही इलाज से ही ठीक कर सकते हैं।
परंतु यदि हमारा हृदय स्वस्थ है, तो हमें ऐसा प्रयत्न जरूर करना चाहिए कि उसे कोई रोग ना हो। इसलिए स्वस्थ व्यक्ति को भी अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए कुछ काम जरूर करना चाहिए ।
शरीर को कठिन परिश्रम करवाना चाहिए, क्योंकि कठिन परिश्रम से जब पसीना निकलता है, तो शरीर में बहुत सारे दूषित पदार्थ पसीने के साथ बाहर निकल जाते हैं। यदि हम ऐसा कठोर परिश्रम नहीं कर पा रहे, तो फिर हमें सुबह आधे घंटे कोई ना कोई व्यायाम जरूर करना चाहिए।
प्राणायाम यदि अच्छी विधि से किया जाए तो इससे पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है एवं शरीर स्वस्थ रहता है। अतः हर किसी को समय निकालकर प्राणायाम जरूर करना चाहिए।
स्वस्थ व्यक्ति को भी अपने भोजन में कच्ची सब्जियों या सलाद और मौसमी फल जो आसानी से उपलब्ध हो सकें, उनका सेवन जरूर करना चाहिए। जरूरी नहीं, कि वह महंगा ही हो, सस्ते फल भी उतने ही लाभदायक होते हैं। भोजन में तेल, मसालों, फास्ट फूड आदि का अधिक सेवन नहीं किया जाना चाहिए, यदि हम इनका सेवन कर भी रहे हैं तो इसके साथ कच्ची सब्जियों का सेवन जरूरी है।
भोजन के बाद तुरंत कोई भी भागदौड़ वाला काम नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे हृदय पर दबाव पड़ता है।
किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए और यदि नशे की आदत है तो दृढ़ निश्चय करके उसे छोड़ देना चाहिए।
चिंता और तनाव से किसी भी समस्या का हल नहीं निकलता बल्कि इससे हम बीमार पड़ते हैं और हमारी और हमारे अपनों की समस्या बढ़ जाती है इसलिए चिंता और तनाव को अपने जीवन से धीरे-धीरे निकाल देना चाहिए। चिंता और तनाव में रहने से अच्छा है, कि हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करके उनके कारणों को दूर करें।
यदि हम इतना कर पाते हैं, तो अवश्य ही हम और हमारा ह्रदय दोनों स्वस्थ रहेंगे।
DIP डाइट का नियमित सेवन
डीआईपी डाइट एक विशेष प्रकार की डाइट है, जिसमें सुबह नाश्ते में 12:00 बजे तक केवल मौसम के अनुसार उपलब्ध होने वाले फलों का सेवन करना है, किसी भी प्रकार का कोई अनाज नहीं खाना है। यदि आपका वजन 60kg है, तो आपक
कम से कम 600 ग्राम फलों का सेवन (छिलका उतारने के बाद) करना है।
दोपहर के भोजन में दो प्लेटें रखनी है, प्लेट -1 में कच्ची सब्जियां जिनमें हरे पत्तों का भी समावेश हो, रखना है एवं प्लेट-2 में जो भी आप भोजन में लेना चाहे ले सकते हैं।
रात्रि में भी भोजन में प्लेट -1 और प्लेट -2 दोनों आपको लेना
कम से कम 300 ग्राम कच्ची सब्जियों का सेवन आपको करना ही है। यह एक उत्तम प्रकार की डाइट है, जो हृदय के साथ-सथ
शरीर को अन्य बीमारियों से भी दूर रखती है, यदि कोई बीमारी है, तो इसके सेवन से वह धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
निष्कर्ष
हार्टअटैक या हृदयाघात कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है, अपनी दिनचर्या और भोजन में सुधार करके, अपने आप को खुश रखके हम इस पर कंट्रोल कर सकते हैं। जब भी हम किसी चीज़ से डरते हैं, तो डर के कारण हम और ज़्यादा बीमार पड़ जाते हैं इसलिए ह्रदय या इससे जुड़ी किसी भी बीमारी से हमें बिल्कुल भी नहीं डरना चाहिए क्योंकि डर के आगे जीत है।
रहिए चिंता, तनाव और व्यसनों से दूर,
तो स्वस्थ रहेगा ह्रदय।
खाइए भोजन में फल और सलाद हुजूर,
आबाद रहेगा हृदय।
बिना थके काम करके हमारे जीवन को चलाता है,
सभी अंगों का राजा है ह्रदय।
लंबी आयु हो इसकी
जुग जुग जिए ह्रदय।
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