अपनी रीढ़ की हड्डी(मेरुदंड, पीठ) को सीधा रखने का सही तरीका

(किस आर्टिकल में हम अपने पीठ को सीधे पोस्चर में रखकर बैठने के तरीकों के बारे में तथा ऐसा न करने पर इससे होने वाली हानियों के बारे में जानेंगे।)

 अपनी पीठ(मेरुदंड) को सीधा रखने का सही तरीका


पीठ अर्थात रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने का सही तरीका




मेरुदंड अर्थात हमारी रीढ़ की हड्डी जो गर्दन से लेकर कमर तक होती है। यही हड्डी हमें चलने- फिरने में तथा वास्तव में हमारे शरीर को सीधा रखने में सहायक होती है। इस हड्डी में विकार होने पर हमें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों से बचने के लिए हमें कुछ विशेष बातों पर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए, लापरवाही करने से हमारा जीवन कष्टमय हो जाता है। आइए कुछ ऐसे ही विशेष बातों के बारे में जाने-



  • हमें हर समय सीधा बैठने पर विशेष ध्यान देना चाहिए, सीधे बैठने का अर्थ है, हमारे गर्दन से लेकर कमर तक का हिस्सा सीधा हो। अतः हमें हर समय अपनी हर गतिविधि को नियंत्रण में रखते हुए, सीधा बैठने, सीधा सोने आदि बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • कुछ लोग अपनी पीठ को झुका कर इसलिए  बैठते हैं, क्योंकि सीधा बैठने में उन्हें परेशानी महसूस होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारी नसों को झुके रहने की आदत पड़ जाती है, यदि इसी आदत को हमने अपनी आदत बना लिया, तो कुछ समय बाद ऐसा समय आ जाता है कि हम सीधा बैठने के लायक ही नहीं बच पाते।
  • कुछ लोग अपने पीठ को झुका कर इसलिए बैठते हैं, क्योंकि ऐसा करने में उन्हें आराम महसूस होता है, लेकिन सच तो यह है कि यही आराम एक दिन हमारे जीवन के लिए जंजाल बन जाता है। अतः कुछ समय के आराम के लिए हमें अपने जीवन को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
  • कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि थोड़ी देर या कुछ दिन पीठ को झुका कर चलने, बैठने  से कुछ नहीं होता, लेकिन वास्तव में ये थोड़ी- थोड़ी देर हमें ज्यादा देर तक टेढ़ा रहने की आदत की तरफ ले जाता है। अतः थोड़ी देर की यह आदत हमारे जीवन की स्थाई आदत ना बन जाए, इस बात का हमें पूरा ध्यान रखना चाहिए।

मेरुदंड अर्थात अपनी पीठ को सीधा क्यों रखना चाहिए?

मेरुदंड जिसे हम रीढ़ की हड्डी के नाम से जानते हैं, इसमें 33 कशेरुकाएं होती हैं, जिनसे मिलकर मेरुदंड जिसे हम कशेरुक दंड भी कहते हैं, बना है। सभी कशेरूक उपास्थि गद्दियों के द्वारा जुड़े रहते हैं। इन गद्दियों  से कशेरुक दंड लचीला रहता है, अर्थात वह हमारे झुकाने पर आसानी से झुक जाता है, जिसकी सहायता से हम किसी भी तरीके से अपनी रीढ़ को और गर्दन को मोड़कर आराम से बैठ और सो पाते हैं।
यदि हम अपने पीठ को झुका कर बैठने के आदि बन जाते हैं, तो इन कशेरुकाओं के बीच नई हड्डी उगने अथवा मांस बढ़ने की समस्या उत्पन्न होने लगती है, जिसके कारण हमारी पीठ में दर्द रहने लगता है और एक समय ऐसा आ जाता है जब ऑपरेशन की नौबत आ जाती है। लेकिन उसके पश्चात भी हमारी पीठ अर्थात रीड की हड्डी पहले जैसी स्वस्थ नहीं हो पाती।

अतः उपर्युक्त घटना से बचने के लिए हमें सावधानी रखना जरूरी है और वह सावधानी सिर्फ इतनी ही हैं कि हमें हमेशा सीधा बैठने, सीधा सोने, और सीधा चलने की आदत का अभ्यास करना है। यह अभ्यास हमें, हमारी मेरुदंड का सही प्रयोग करने की क्षमता प्रदान करेगा, जिसके लिए ईश्वर ने हमारे शरीर को यह मेरुदंड प्रदान किया है।


मेरुदंड अर्थात रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के लाभ


  • मेरुदंड हमारे शरीर को एक उपयुक्त ढांचा प्रदान करता है, इसे सीधा रखने से इस में रक्त संचार भली-भांति होता रहता है, जिसके कारण इसमें किसी प्रकार का कोई विकार उत्पन्न नहीं होता।
  • मेरुदंड हमारे धड़ और सिर को आपस में जोड़ता है, सीधा रहने पर हमारी गर्दन और हमारे सिर को भी अनेक प्रकार के विकारों से बचाता है।
  • मेरुदंड को सीधा रखकर चलने बैठने आदि से हमारी पर्सनालिटी भी अच्छी दिखती है।
  • मेरुदंड को सीधा रखने से कमर से संबंधित तथा गर्दन से संबंधित आर यू कहे तो पूरे शरीर से ही संबंधित बहुत से विकारों से बचा जा सकता है।




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