मधुमेह के लक्षण एवं विभिन्न उपचार विधियां
(इस आर्टिकल में मधुमेह, जो आज एक व्यापक एवं असाध्य रोग बना हुआ है, उसके लक्षण एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें यह बताया गया है, कि कैसे भोजन में सुधार करके, और एक्यूप्रेशर आदि पद्धतियों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।)
क्या होता है मधुमेह?
मधुमेह आज के समय का व्यापक स्तर में बढ़ता हुआ एक ऐसा रोग है, जो हमारी जीवन पद्धति में बदलाव के कारण और अधिक बढ़ता ही जा रहा है। आज 60 परसेंट से अधिक लोग इस रोग के मरीज बने हुए हैं। एक बार इसकी दवा शुरू हो जाती है तो जीवन पर्यंत उन दवाओं पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यदि इस बीमारी से हमें वाकई में दूर रहना है, तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा, कि आखिर यह मधुमेह होता क्या है? आइए जानें।
हमारे शरीर को ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्लूकोज यानी शुगर की जरूरत होती है, और यह शुगर हमें हमारे भोजन से मिलता है। अग्न्याशय यानी pancreas जो कि हार्ट के ठीक नीचे और पेट के ऊपर होती है, वहां बीटा सेल्स, इंसुलिन का निर्माण करते हैं। यही इंसुलिन भोजन से प्राप्त शुगर को पचाने में सहायक होते हैं, जिनसे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। अग्न्याशय में जब किसी कारण कोई खराबी हो जाती है, तो वह इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाती, जिससे शुगर का पाचन नहीं हो पाता और वह शरीर के विभिन्न अंगों में गंदगी की तरह एकत्र होने लगती है।
एक तरफ तो शरीर में शुगर का पाचन ना होने से कमजोरी महसूस होने लगती है, और दूसरी तरफ शरीर के विभिन्न अंगों में शुगर के जमा होने से उनमें खराबी या कोई अन्य रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इसी अवस्था को मधुमेह का रोग कहा जाता है। मधुमेह type 1 और type 2 दो प्रकार का होता है।
Type 1 मधुमेह अक्सर बच्चों में पाया जाता है, जिनका अभी पूर्ण विकास नहीं हुआ है।
Type 2 बढ़ती हुई उम्र के साथ होने वाला मधुमेह है।
अग्न्याशय यानी पैंक्रियाज के खराबी के अनेक कारण हो सकते हैं। जरूरी नहीं है, कि शुगर अधिक खाने से ही पेन्क्रियाज में खराबी है। अधिक शुगर सिर्फ एक कारण है, जिससे हमें बचना भी चाहिए। लेकिन इसके अतिरिक्त और भी अन्य कारण हैं, जिन्हें जानना बहुत जरूरी है।
वास्तव में हमारे रक्त में शुगर का बढ़ना ही डायबिटीज यानी मधुमेह कहा जाता है, आइए सबसे पहले हम जानते हैं कि इस मधुमेह के लक्षण क्या है?
मधुमेह (diabetes) के लक्षण
जब बीटा सेल्स इंसुलिन का निर्माण नहीं करते, जो कि शुगर का पाचन करने में सहायक होते हैं, तो रक्त में यह शुगर बढ़ता जाता है और उपयोगी होने के स्थान पर यह अनुपयोगी हो जाता है। इसी कारण शरीर में थकावट महसूस होने लगती है, बार-बार पेशाब होने के कारण शरीर को पानी की कमी महसूस होती है, जिसके कारण बार-बार प्यास लगती है। रक्त में शुगर के जमा होने के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ने लगती है तथा आंखों से धुंधला दिखाई देने की भी समस्या रहने लगती है। इन सभी लक्षणों के साथ ही एकाएक वजन कम होने लगता है ।
कभी-कभी तो यह लक्षण हमें काफी देर से दिखाई देते हैं, जबकि हमारा शुगर लेवल बढ़ चुका होता है।
मधुमेह यानी शुगर लेवल को बढ़ाने वाले कारक
आप ऊपर पढ़ चुके हैं ,कि शुगर लेवल का रक्त में पढ़ना ही मधुमेह है, तो आइए जाने इस शुगर नहीं बढ़कर बढ़ने के कुछ कारणों को-
कुछ चीजों का अत्यधिक सेवन जैसे-
चीनी, इसे white drug भी कहते हैं, इसके अधिक सेवन से हमारे पैंक्रियाज, जो इंसुलिन का निर्माण करते हैं उन पर अधिक दबाव पड़ता है, क्योंकि यह पचने में बहुत भारी होता है। इसका बुरा प्रभाव हमारी immune system पर भी पड़ता है। अतः चीनी का अत्यधिक सेवन केवल मधुमेह के रोगी के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी स्वास्थ्य वर्धक नहीं है।
किसी भी प्रकार का animal food चाहे वह मांस हो, दूध हो अथवा दूध से निर्मित कोई अन्य पदार्थ हो, उसमें कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, जो नसों में ब्लॉकेज बनाने में सहयोग देता है। इसके अतिरिक्त पशुओं में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है, जो वनस्पतियों में पाए जाने वाले प्रोटीन से थोड़ा अलग होता है, और इसका पाचन करना शरीर के अंगों के लिए थोड़ा कठिन कार्य होता है। कोलेस्ट्रोल अगर अग्न्याशय या pancreas के आस-पास ब्लॉकेज बनाने लगे, तो उसकी कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। इस कारण इंसुलिन का निर्माण आवश्यकता अनुसार नहीं हो पाता।
किसी भी प्रकार का refined या packed food, जो फैक्ट्रियों में निर्माण किया जाता है, उसमें dioxin नामक रसायन पाया जाता है, यह डायोक्सीन हमारे शरीर में इंसुलिन के निर्माण करने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जो आगे चलकर मधुमेह रोग का कारण बनता है।
अधिक मात्रा में किसी भी प्रकार के तेल का सेवन भी हमारे पैंक्रियास के आसपास एक प्रकार की तैलीय परत का निर्माण करता है, जिसके कारण पैंक्रियाज , इंसुलिन का पर्याप्त निर्माण नहीं कर पाते। यदि किसी भी वस्तु के पास कचरा जमा होता है, चाहें वह किसी भी प्रकार का हो, तो उसकी कार्य क्षमता पर अवश्य ही प्रभाव पड़ता है।
अत्यधिक मानसिक तनाव या stress के कारण भी कभी-कभी शुगर बढ़ जाता है, क्योंकि इस अवस्था में शरीर के कोई भी अंग भली-भांति कार्य नहीं कर पाते, खास करके हमारा digestion system.
लंबे समय तक डिप्रेशन की गोलियां लेने से भी शुगर बढ़ा हुआ रहने लगता है जो आगे चलकर मधुमेह का रूप ले लेता है। Paracetamol, Asprin जैसी कुछ दवाओं के कारण भी शुगर का बढ़ना पाया जाता है।
अधिकांशतः शुगर का बढ़ना तब पाया जाता है जब बुखार अथवा अन्य कोई infectional disease हुआ रहता है, क्योंकि उस समय हमारे शरीर में हमारा immune system खुद- ब-खुद कुछ इस तरीके से काम करता है, कि शरीर में पाए जाने वाले कुछ तत्वों में वृद्धि हो जाती है।
उपर्युक्त चीजों को छोड़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन दवाओं पर निर्भर रहकर और मरीज बनकर ज़िंदगी बिताना यह और ज़्यादा मुश्किल काम है। लेकिन ऐसा देखा गया है, कि इन सभी चीजों को जैसे ही हम धीरे-धीरे कम मात्रा में लेने लगते हैं, या छोड़ देते हैं और अपने भोजन और दिनचर्या में सुधार करते हैं, तो बिना दवाइयों के ही, मधुमेह ही नहीं, बल्किअधिकांश बीमारियां स्वत: ही ठीक होने लगती हैं।
मधुमेह के उपचार की विधियां
मधुमेह एक lifestyle disease है अर्थात अपने भोजन और दिनचर्या को सुधार कर हम इस रोग के लक्षणों को नहीं के बराबर कर सकते हैं। नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं, जिन्हें यदि हम उपयोग में लाएं, तो अवश्य ही हम उनका लाभ ले सकते हैं।
निषेध अथवा परहेज
ऊपर कुछ ऐसी चीज़ो के बारे में बताया गया है, जो हमारे शरीर में मधुमेह अथवा शुगर लेवल को बढ़ाने में कारक बनते हैं, सबसे पहले तो हमें उन सभी चीज़ो से परहेज करना चाहिए। यदि एकाएक नहीं छोड़ सकते, तो धीरे-धीरे उन्हें कम करते जाना चाहिए, क्योंकि सबसे बड़ा कारण ये चीज़े ही हैं।
भोजन में सुधार
हम जो खाद्य पदार्थ खाते हैं, वह पेट भरने के लिए और स्वाद के लिए तो सही हैं, लेकिन हमारे शरीर के रोगों को ठीक करने में किसी भी प्रकार से सहयोगी नहीं है। अतः हमें अपने भोजन में अवश्य ही सुधार करना चाहिए।
डी.आई.पी. डाइट
यह नेचुरोपैथी के सिद्धांत पर काम करने वाली एक विशेष प्रकार की डाइट है, जो चाइना तथा अनेक देशों के लोग स्वास्थ्य सुधार हेतु प्रयोग में लाते हैं। भारत में डॉ विश्वरूप राय चौधरी द्वारा इसका प्रचार एवं प्रयोग ज्यादा से ज्यादा किया जा रहा है और इससे लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं।
हमें अपने भोजन में अपने वजन के अनुसार जैसे यदि 60 किलो वजन है तो 600 ग्राम कच्ची सब्जियां सलाद के रूप में तथा उतने ही फल जो मौसम के अनुसार उपलब्ध हों, अवश्य लेना चाहिए। साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां बिना पकाए बारीक काटकर उस सलाद में समावेशित करना चाहिए। क्योंकि, इनमें सिर्फ मधुमेह ही नहीं, बल्कि शरीर के अन्य लोगों को ठीक करने और उनसे बचाने की क्षमता है।
इसके अतिरिक्त हमें अंकुरित अन्न तथा nuts का समावेश भी snacks के रूप में करना चाहिए।
हमें नाश्ते में अपने वजन के एक परसेंट के बराबर अर्थात यदि 60 किलो वजन है तो 600 ग्राम फलों का सेवन कम से कम अवश्य ही करना चाहिए तथा दोपहर एवं रात के भोजन के समय कच्ची सब्जियों का सेवन इतनी ही मात्रा में करना चाहिए। यह कच्ची सब्जियां आप अपने पसंद के अनुसार कोई भी ले सकते हैं। गाजर, चुकंदर, प्याज , मूली, खीरा और अन्य भी ऐसी सब्जियां जिन्हें आप कच्चा खा सकते हैं तथा इनके साथ कुछ हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक या मूली के पत्ते, लहसुन के पत्ते ऐसे ही कुछ और पत्ते जो आप अपने सलाद में प्रयोग में ला सकते हैं।
जैसे ही हम ऊपर दी गई चीजों का परहेज करने लगते हैं, तथा अपने भोजन में फलों और सब्जियों का समावेश करते हैं, 2 से 3 दिनों में हमें लाभ अवश्य ही दिखाई देने लगता है।
आयुष मंत्रालय द्वारा भी यह प्रयोग सुझाया गया है।
लेकिन सावधानी सिर्फ इतनी ही रखनी है, कि जैसे ही इन सुधारों से हमारा शुगर लेवल ठीक होने लगे, दवाओं का सेवन धीरे-धीरे बंद कर देना चाहिए, अन्यथा शुगर लो भी हो सकता है।जो हाई शुगर होने से भी ज़्यादा खतरनाक होता है।
कम से कम 45 मिनट धूप का सेवन
ऐसा देखा गया है, कि जो लोग धूप से बच कर, आरामदायक कमरों में ही रहते हैं, उन्हें ही मधुमेह तथा ऐसी ही अन्य बीमारियां होती हैं। धूप अर्थात सूर्य से प्राप्त ऊर्जा हमारे शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करती है, जो अन्य विटामिंस को शरीर में शोषित करने में सहयोगी होता है। अतः हमें कम से कम 45 मिनट तक धूप में ज़रूर रहना चाहिए, चाहे धूप में कोई काम करें अथवा व्यायाम अथवा पैदल चलना ही सही। जिस रूप में भी धूप का सेवन किया जा सके, अवश्य करना चाहिए।
भूख लगने से पहले भोजन का सेवन
जब भी हमें बहुत तेज भूख लगती है, जो भी मिलता है, हम उसे खा लेते हैं। इस बात पर विचार किए बिना कि वह हमारे लिए फायदेमंद है अथवा नुकसानदेह। इसलिए कोशिश करके हमें भूख लगने से पहले जो हमारे लिए उपयुक्त भोजन है, उसे ही खाना चाहिए। हम भोजन का एक नियमित समय भी बना सकते हैं। इसके अलावा हर 2 घंटे में sprouts, nuts यह भी थोड़ी मात्रा में लिया जा सकता है।
मनोवैज्ञानिक तथ्य
हम अपने जीवन में अथवा अपने भोजन में सुधार तभी कर सकते हैं, जब हम खुद चाहेंगे, क्योंकि मन के पास बहाने बहुत हैं। आपका मन कहेगा, अरे, इन सब्जियों और फलों को बहुत देर तक चबाना पड़ेगा, लेकिन इसका भी विकल्प है अगर आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो आप इन सब्जियों को थोड़ा सा steam boil भी करके ले सकते हैं। लेकिन उन्हें बिना पकाए लेना एक औषधि लेने के बराबर है। जब हम कच्ची सब्जियों का सेवन करने लगते हैं, तो लोग यह भी कहते हैं, कि यह तो जानवरों का भोजन है, लेकिन यह भी तो सोचिए, जानवर यही भोजन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टर की कभी जरूरत नहीं पड़ती।
उन सब्जियों अथवा फलों का जूस भी लिया जा सकता है, लेकिन उस जूस को घूंट -घूंट करके धीरे-धीरे पीना चाहिए, जिससे हमारे मुंह की लार, जो कि भोजन को पचाने में विशेष रूप से सहयोगी होती है, उस जूस के साथ पेट में जाए।
कहने का तात्पर्य है, कि यदि हम दृढ़ निश्चय करें, तभी हम परहेज भी कर सकते हैं और अपने भोजन में और दिनचर्या में सुधार भी। तभी हमारा जीवन एक स्वस्थ और सुखी जीवन बन सकता है।
नारियल का पानी एक उत्तम औषधि
नारियल का पानी प्रकृति का बनाया हुआ एक ऐसा अमृत है, जो बहुत सी बीमारियों को ठीक करने में कारगर है।
जब भी शुगर लेबल अधिक बढ़ जाए, हमें नारियल के पानी का सेवन आरंभ कर देना चाहिए। इससे शरीर में पोटेशियम का बैलेंस तुरंत ही ठीक होने लगता है। नारियल के पानी के सेवन से थायराइड, किडनी तथा अन्य शारीरिक अंगों को भी पोषण मिलता है, जिससे उनकी रिकवरी बहुत जल्दी होने लगती है।
आयुर्वेदिक उपचार
शुगर बढ़ने पर कुछ आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन भी, शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
खीरा, टमाटर तथा करेले का जूस खाली पेट सेवन करने से हमारे शरीर में रक्त में जो बढ़ी हुई शुगर की मात्रा होती है, वह कम होने लगती है।
इसके अतिरिक्त नीम के पत्ते, जामुन की गुठली, गुड़मार, मेथी इन सबका चूर्ण भी लाभकारी होता है। वास्तव में जितने भी कड़वे पदार्थ हैं, वे हमारे रक्त में बढ़ी हुई शुगर की मात्रा को कम करने में उपयोगी होते हैं। रक्त में बढ़ी हुई शुगर की मात्रा
शरीर के विभिन्न अंगों में खराबी उत्पन्न करती है, इसलिए इसे कम करना जरूरी होता है।
मधुमेह के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट
दिए गए चित्र में हमारे शरीर में स्थित अग्न्याशय यानी पैंक्रियास का एक्यूप्रेशर पॉइंट दर्शाया गया है, जो कि दोनों हाथों में दर्शाए गए स्थान पर ही होता है। दिन में कम से कम तीन से चार बार दो -दो मिनट इस पॉइंट पर दबाव डालने से यदि पेनक्रियाज में कुछ खराबी होती है, तो धीरे-धीरे उसमें सुधार होने लगता है, लेकिन भोजन के तुरंत बाद यह दबाव नहीं डाला जाना चाहिए अन्यथा यह फायदेमंद नहीं होगा। यदि दबाव डालने पर दर्द का अनुभव हो, क्योंकि जब पॉइंट से जुड़े हुए अंग में कोई खराबी होती है, तो उसके एक्यूप्रेशर पॉइंट पर दर्द होता है। ऐसा दर्द यदि एक्यूप्रेशर पॉइंट पर हो, तो सहनशीलता के अनुसार पहले धीरे-धीरे दबाव डालना चाहिए, तत्पश्चात उसकी मात्रा और दबाव बढ़ाना चाहिए।
योगा एवं व्यायाम
जो लोग शारीरिक मेहनत करते हैं, उनका व्यायाम स्वयं ही हो जाता है, लेकिन जिन्हें बैठे-बैठे ऑफिस वर्क ही करना हो, उनके लिए व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। क्योंकि इससे रक्त परिसंचरण भली-भांति होता रहता है, जिससे शरीर के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं।
प्राणायाम यानी breathing exercise करने से शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा प्राप्त होती रहती है, जिससे उनमें कोई विकार होने की संभावना नहीं रहती। अतः हमे अपनी क्षमता के अनुसार योग एवं प्राणायाम नियमित रूप से सुबह अथवा शाम भोजन से पहले अवश्य करना चाहिए।
निष्कर्ष
मधुमेह यानी शुगर का बढ़ना हमारे जीवन शैली की गलत आदतों एवं खानपान के कारण होने वाला एक रोग है, थोड़ी सी समझदारी के साथ अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाकर इसे ठीक किया जा सकता है।
संभव है कि हम एकदम से ऊपर सुझाई गई चीज़ो को ना छोड़ सकें, लेकिन उनके उपयोग में कमी तो ला ही सकते हैं!
कच्ची सब्जियों और फलों का सेवन जो कि परम औषधि है, उसका सेवन हमें स्वादवाला ना लगे, लेकिन स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हमें अपने भोजन में अवश्य ही प्रयोग में लाना चाहिए।
हर चीज़ हर किसी को सूट नहीं करती, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए और जो उसके लिए सूटेबल हो, वह प्रयोग अमल में लाकर अपने आप को निरोगी रखना चाहिए।
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