जल है तो कल है।
(इस आर्टिकल में जल का हमारे जीवन में महत्व बताते हुए उसके संरक्षण के उपायों को सुझाया गया है।)
जल है तो कल है।
जल है तो कल है, इसका तात्पर्य है, यदि जल, जो हमारे जीवन के अस्तित्व लिए आवश्यक है, हमें आज भी उपलब्ध है, भविष्य में भी जल हमें मिलता रहेगा, तो ही हम जीवित रह सकते हैं। जल के बिना ना वर्तमान में जीना संभव है और ना ही भविष्य की कल्पना करना संभव है।इस छोटे से वाक्य का अर्थ हमारे वर्तमान के साथ-साथ हमारे भविष्य से भी है। हमारा भविष्य सिर्फ हमारा ही नहीं, हमारी आने वाली पीढ़ियों की धरोहर है, यदि उस भविष्य में जल ना हो, तो इसके सबसे अधिक जिम्मेदार हम ही होंगे।
जल की आवश्यकता क्यों?
कहा जाता है कि, "जल ही जीवन है।"क्योंकि जल के बिना हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते, चाहे मानव हो, पशु- पक्षी हों अथवा पेड़ पौधे हों, सब का अस्तित्व जल पर ही टिका हुआ है।
हमारे दैनिक जीवन में प्रत्येक कार्य भोजन पकाने से लेकर, साफ- सफाई, खेती-बाड़ी जैसे सभी कार्यों के लिए जल आवश्यक है। विशेषकर पीने के लिए तो पानी हर किसी को चाहिए! किसी प्यासे को पानी पिलाने से जो सुख मिलता है, उसका तो वर्णन भी नहीं किया जा सकता! वाकई जल ही हमारे लिए जीवन है, लेकिन यह जल क्या हमें आगे भी उपलब्ध होता रहेगा ?
जल संकट क्यों और कैसे?
पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा जल से घिरा हुआ है, उसमें बड़े विशालकाय महासागर, समुद्र, नदियों आदि का समावेश है। परंतु इनमें से अधिकांश जल या तो खारा है या प्रदूषित है। हम जिस भूमि पर रहते हैं, उसके नीचे एक सीमित गहराई पर भूमिगत जल है, लेकिन वह भी अनेक कारणों से दूषित होता जा रहा है, साथ ही हमारी ही गलतियों के कारण वह धीरे-धीरे समाप्त भी होता जा रहा है। इस तरह हम जल से वंचित होने के कगार पर पहुंचते जा रहे हैं।
मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े-बड़े शहरों में तो पीने का पानी दूध से भी महंगा मिलता है। स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के नाम पर अनेक कंपनियां मुनाफा तो कमा रही हैं, लेकिन हर किसी को यह स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जो समर्थ हैं, वे लोग तो पैसे से स्वच्छ जल खरीद लेते हैं, लेकिन उन लोगों का क्या, जो अपने लिए भोजन भी नहीं जुटा पाते? उन्हें तो जो जल उपलब्ध हो जाता है, चाहे वह साफ हो या दूषित, उसी से अपनी प्यास बुझा लेते हैं।
ज़रा सोचिए, यदि वर्तमान में स्वच्छ जल की यह स्थिति है, तो भविष्य में क्या होगी? हमारे आने वाले वंशजों को स्वच्छ जल के दर्शन भी होंगे या नहीं, यह हम ना सोचते हैं, ना ही इसके लिए हमें कोई चिंता है। यदि चिंता होती, तो हम जल इस तरह व्यर्थ बर्बाद नहीं करते!
हम जल की बर्बादी कैसे कर रहे हैं?
जल जल स्वच्छ हो, साफ हो तो ही हम उसका प्रयोग करते हैं, लेकिन फिर भी हम नदियों और तालाबों में कूड़ा-करकट फेंककर उन्हें दूषित करते रहते हैं।
भूमिगत जल पेयजल और स्वच्छ जल का सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन जो लोग ट्यूबवेल या समरसेट लगवा लेते हैं, वे मुफ्त समझकर जल को अनावश्यक की बर्बाद करते रहते हैं, उन्हें सोचना चाहिए, कि यदि भूमि से सारा जल वही लोग निकाल लेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या बचेगा?
प्लास्टिक जो पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है, जल भी उसी के कारण प्रदूषित होता जा रहा है। कचरे के रूप में भूमि पर पड़े- पड़े यह प्लास्टिक भूमिगत जल में घुलकर उसे प्रदूषित कर रहा है।
हम अपना मकान इस तरीके से बना रहे हैं, वर्षा का जल संग्रहित होने के लिए कहीं भी कोई स्थान नहीं बचता , इस प्रकार वर्षा का जल यूं ही बर्बाद हो जाता है। उस जल को यदि सही प्रकार से संग्रहित किया जाए तो हमारी अनेक आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं, भूमि का जल का स्तर भी बढ़ सकता है।
जल संरक्षण के उपाय
यदि हमें वास्तव में अपने भविष्य और अपने आने वाली पीढ़ियों की चिंता है, तो हमें जल संरक्षण को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि जल उपलब्धता की निरंतरता बनी रहे। हमारे आनेवाली पीढ़ी जल के लिए ना तरसे! तो आइए कुछ जल संरक्षण के उपायों को जाने।
वर्षा के जल का संग्रहण
हमारे देश में तीन ऋतु में से वर्षा ऋतु भी महत्वपूर्ण है, इसी पर हमारी कृषि और पेयजल का स्तर टिका होता है। यदि हम वर्षा के जल का सही प्रकार से संग्रहण करें, अनावश्यक भूमि पर गड्ढे या तालाब बनाकर अथवा अन्य किसी भी तरीके से जो हमारे लिए संभव हो, तो जल संकट से हम बहुत हद तक बच सकते हैं।
वर्षा का जल यदि भूमि में रिसता है, तो इससे भूमिगत जल में वृद्धि होती है, अतः हमें अपने घरों में अथवा सड़कों पर ऐसी व्यवस्था बनाए बनानी चाहिए, टीचर भी ना हो और अधिक से अधिक जल का रिसाव भूमि में होता रहे।
नदियों और तालाबों को दूषित होने से बचाना
अनेक प्रकार की फैक्ट्रियों से निकलने वाली केमिकल की फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल तथा अन्य दूषित पदार्थ नदियों तथा तालाबों को इस कदर गंदा कर देते हैं, कि उनका प्रयोग करना हमें उचित नहीं लगता। नदियां प्राचीन समय से ही हमारे लिए जीवन का स्रोत रही हैं , अर्थात उन्हें बचा कर एक तरह से हम अपने और अपने आने वाली पीढ़ियों के जीवन को ही बचाएंगे।
सिर्फ सरकार को दोष देने से क्या फायदा? वह चाहे जितनी भी सफाई करा लें, गंदगी करने वाले तो हमारे जैसे ही लोग हैं, अतः दूसरों को दोष ना देकर हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए । हमारी भी जिम्मेदारी है, कि हम नदियों और तालाबों को गंदा ना करें और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
निष्कर्ष
यदि आज हम जल बचा पाए, तो ही हमारा कल अर्थात भविष्य बच पाएगा, वरना जल के बिना कैसा जीवन, कैसी खुशी और कैसा भविष्य? जल है तो कल है, इस वाक्य को समझते हुए हमें जल के संरक्षण के लिए व्यापक कदम उठाने होंगे, हम दूसरों को दोष दें और स्वयं अपने जल को समाप्त करें, प्रदूषित करें, यह कभी भी उचित नहीं हो सकता?
यदि आज हमने जल को आने वाले भविष्य के लिए सुरक्षित कर दिया, तो यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा। धन दौलत और जायदाद की खुशियां तो वो तब मना पाएंगे ना जब स्वच्छ जल ग्रहण करके जीवित रहेंगे!
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