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रुद्राष्टक

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 (इस पोस्ट में रुद्राष्टक का इतिहास एवं उसे पढ़ने से क्या लाभ होता है या बताया गया है।) रुद्राष्टक का इतिहास रुद्राष्टक तुलसीदास जी द्वारा रचितरामचरितमानस के उत्तरकांड में दिया गया है। यह काकभुशुण्डि जी के पूर्व जन्म के एक वृतांत के रूप में है, जिसमें यह बताया गया है कि जब कागभुशुण्डि जी एक ब्राम्हण शिष्य के रूप में थे और उन्होंने अपने गुरु का अपमान कर दिया था, तब गुरु का अपमान होने के कारण शिवजी उनसे रुष्ट हो गए थे, तब उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन द्वारा शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह रुद्राष्टक पढ़ा था, जिससे शिवजी उन पर प्रसन्न हुए थे तथा राम जी की अनन्य भक्ति का आशीर्वाद दिया था। रुद्राष्टक की एक प्रति निम्नलिखित है-- नराणांं।। रुद्राष्टक पढ़ने से लाभ रुद्राष्टक पढ़ने से शिव जी की कृपा तो प्राप्त होती है साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है। बहुत ज़्यादा जप-तप जो लोग नहीं कर सकते, वे केवल रूद्राष्टक का पाठ करके ही शिव जी की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। इस रुद्राष्टक के पढ़ने से ब्राह्मण के ऊपर शिवजी की कृपा हुई थी और शिव जी ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी यह रुद्राष्टक पढ़ेगा, उस...

भाषण के लिए आवश्यक एवं ध्यान देने योग्य बातें

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 (इस निबंध में  भाषण देने के लिए आवश्यक बातें जैसे संबोधन, परिचय विषय तथा अन्य जरूरी बातें जो हमारे भाषण को प्रभावशाली बनाती हैं उन सभी बातों की जानकारी दी गई है।) भाषण का अर्थ भाषण का अर्थ होता है-- व्याख्यान, अभिभाषण, कथन, बोली हुई बात इत्यादि। अंग्रेजी में इसे 'स्पीच'(speech) कहते हैं, जिसका अर्थ होता है अपने विचारों को अभिव्यक्त करना। भाषण किसे कहते हैं? कोई भी मनुष्य हो वह बिल्कुल भी चुप नहीं रह सकता, अपने विचारों को, अपनी बातों को दूसरों को किसी ना किसी माध्यम से वह समझाता ही है। अपनी बात दूसरों को समझाने की यह कला अभिव्यक्ति कहलाती है। अभिव्यक्ति की यह कला किसी में कम तो किसी में अधिक लेकिन सब में होती ही है। हम कभी ना कभी, किसी ना किसी को अपनी बातों को ज़रूर बताते हैं या समझाते हैं और कहीं बाहर, किसी मंच पर, हम अपनी बातें दूसरे को समझाने के लिए कुछ ऐसे नए तरीकों और तकनीकों का प्रयोग करते हैं, जिससे हमारे विचार, हमारी बातें सामने वाले को स्पष्ट रूप में समझ में आ जाए, वह हमारे विचारों से परिचित हो जाए। इसी उद्देश्य से जब हम अपनी बातें किसी समूह के समक्ष मौखिक रूप में रखत...

मोबाइल(हिंदी कविता)

 मोबाइल(हिंदी कविता) आज के युग में मोबाइल है सबके घर का गहना मानो इसके बिन, मुश्किल है ज़िंदा रहना। छोटा हो या बड़ा सब इसका मोहताज होता है महंगा हो या सस्ता सबकी जेब में रहता है। पहले जब मोबाइल न था, डांक की चिट्टी का इंतजार रहता था। कबूतर भी मैसेंजर का काम करता था। डीजे बजा कर ही कोई डांस करता था, पर अपनों से अपनों का तार जुड़ा रहता था। अब मोबाइल के आने से, माना हर संदेश मिनटों में पहुंच जाता है पर अपनों के लिए वक्त कहां निकल पाता है! घर में रहकर भी लोग मोबाइल में ऐसे खोए रहते हैं, जैसे साधु, संसार से वैराग्य बनाए रखते हैं। कानों में  माइक लगाकर लोग बड़बड़ाते हैं, ऐसे  पागलखाने में  किसी को करंट दिया जा रहा हो, जैसे।  माना, इससे लोगों को बड़ी सुविधा है, पर क्या अच्छा है! क्या बुरा! इसकी बड़ी दुविधा है। बच्चों के लिए यह वरदान के साथ अभिशाप भी हैं,  इसीसे ऑनलाइन कक्षा का उनको मिला साथ भी है। माना इसके प्रयोग से उनके संस्कारों में कमी आई है, पर उनके ह्रदय मंडल पर इसी की छवि छाई है। माना इस मोबाइल में बहुत कुछ दिया पर बहुतों को बेरोजगार भी किया।

अनेकार्थक शब्द..(worksheet)

 अनेकार्थक शब्द(कक्षा- 6) प्रश्न-1. निम्नलिखित वाक्यों में रंगे गए शब्दों का अर्थ बताइए। जल है, तो जीवन है। जवाहरलाल नेहरू एक महान नायक थे। आई.ए.एस का पद बहुत बड़ा होता है। सूरदास के पद हर किसी को ज्ञान प्रदान करते हैं। आसमान में घनघोर घन छाया है। बच्चा मां के अंचल में चैन की नींद सोता है। मेरी टीचर ने मेरी कॉपी चेक कर दी। मैंने अपना सारा गृह कर भर दिया है। प्रकृति का सुंदर दृश्य आंखों के लिए सुहावना होता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। कृष्ण का श्याम वर्ण हर किसी को सुंदर लगता है। विधि का लिखा कौन टाल सकता है! अपनी पृष्ठ पर भारी- भारी सामान लादने से मुझे दर्द का अनुभव होने लगा है। मेरी पुस्तक में 150 पृष्ठ हैं। राजा ने माली को एक स्वर्ण मुद्रा दी। 

समरूपी भिन्नार्थक शब्द..(worksheet)

 समरूपी भिन्नार्थक शब्द(कक्षा- 7) प्रश्न-1.नीचे दिए गए अधूरे वाक्यों में उपयुक्त अर्थ वाले शब्द भरकर वाक्यों को पूर्ण करें। अपनी सुत और .......... के भरण-पोषण में मनुष्य अपना जीवन ........... कर देता है।(ज़ाया, जाया) हरिश्चंद्रर जैसे......... राजा ने दान में अपना सब कुछ .......... कर दिया।(बलि ,बली) जंगल से वापस ........ समय लकड़हारा रास्ते में ही ........... गया।(लोट, लौटते) हर........ मैं तुम्हें यही समझाता हूं कि प्रत्येक........ को स्नान जरूर करना चाहिए।(वार,बार) स्वास्थ्य के....... चलने के लिए संतुलित ..........लेना आवश्यक है।(पथ, पथ्य) कक्षा के ........ से ही रमेश सब को परेशान करने का हो ..............गया है।(आदि, आदी) ........जतन करने के बाद अच्छी......... मिलती है। (बहू, बहु) कम या अधिक........... में सबको अपने कर्म का अच्छा -बुरा........ मिलता ही है।(परिणाम, परिमाण) गर्मी के दिनों में तेज ......... चलने से ..........भड़क उठती है।(अनिल, अनल) मैंने अपने दोस्त से थोड़ा-सा........... मांगा लेकिन ...........उसका खराब होने से उसने मुझे मना कर दिया।(आचार, अचार) प्रश्न-2. निम्नलिख...

प्राइवेट शिक्षक की ज़िंदगी

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  ( इस कविता में प्राइवेट शिक्षक की ज़िंदगी के कुछ समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है ) कितने दिन पढ़ने के बाद , अच्छी डिग्रियां पाने के बाद, बड़े शौक से कोई शिक्षक बनता है। "सरकारी ना मिली तो क्या हुआ, यहां भी तो पढ़ाना ही है।" यह सोचकर ही कोई प्राइवेट शिक्षक बनता है। बच्चों के लिए आदर्श शिक्षक का व्यक्तित्व होता है। इसलिए शिक्षक को भी बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है। नहीं बता सकता वह, हर  किसी को  अपनी मजबूरी। कौन जाने, कितनी इच्छाएं रह जाती है उसकी अधूरी!  मजदूर  की  मजदूरी  से,  कम मेहनत  का  यह  काम नहीं। केवल कपड़ों और भाषा का अंतर है, जीवन में आराम नहीं। रूल रेगुलेशन से,बड़े घर के बच्चों को शिक्षा देना आसान नहीं। लगता होगा, लेकिन   शिक्षक का   जीवन इतना  आसान नहीं। एक सरकारी शिक्षक तो बड़ी शान से अपना जीवन बिताता है। समय पर नहीं जाता,काम नहीं करता फिर भी वेतन पाता है। पर प्राइवेट शिक्षक का वेतन, हर गलती के लिए कट जाता है। यह वेतन भी मिलते ही, खर्चे में प्रसाद की तरह बंट जाता है। बच्चों की गलती पर भी, एक शिक्षक ह...

डर(हिंदी कविता)

  डर ने हमसे क्या-क्या छीना! डर-डर के अब क्यों जीना? क्यों घुट-घुट कर आंसू पीना डर के बिना जिंदगी होगी एक हसीना। बचपन बीता डर ही डर में कभी टीचर के डंडे का डर,  कभी मीठी डांटे सुनने का डर। उन बातों को सोच कर मज़ाआए जीने में। आई जवानी नए-नए डर ने घेरा, कभी नौकरी ना मिलने का डर,  कभी नौकरी के  जाने  का डर।  कभी शादी और प्यार का डर।  कभी सब कुछ खो जाने का डर पत्नी को पति का डर,  पति को पत्नी का डर,  दोनों को बच्चों का डर।  बुढ़ापे में बीमारी का डर बीमारी में दवाइयों का डर  मरकर मोक्ष न पाने का डर।  जीवन में पथ से भटकने  का डर। यह डर हमारे जीवन के पहले भी था और बाद में भी होगा। जीवन  में  डर-डर कर,  डर  को  यूं  बदनाम    ना करो। थोड़ी मात्रा में यह भी जरूरी है, इसका सही उपयोग तो करो! जब एक विजेता अपने हार के डर से घबराता है, तभी जीवन के हर क्षेत्र में, विजयी बन पाता है। जिसने डर से खुशी- खुशी दोस्ती कर ली, हर असंभव को वह संभव करके दिखाता है। किसी ने सच ही कहा है...डर के आगे जीत है।