हाय! हाय! कोरोना

 हाय! हाय! कोरोना (हिंदी कविता)

कोरोना आया था एक वायरस बनकर,
हमारे जीवन का हिस्सा बन गया।
जल्दी ही मीडिया के लिए किस्सा बन गया।
नेता जी के भाषण में यूं समाया,
राजनीतिक दलों का वो मेंबर बन गया।


अब तो सबके जीवन का उद्देश्य है, इसे ही हटाना
भले ही अशिक्षा और बेरोजगारी को पड़े बढ़ाना।
अब तो डर के ही है जीवन बिताना,
स्वच्छ हाथ, मास्क और 2 गज की दूरी को है अपनाना।


नेताजी के भाषण में विकास की बातें अब नजर नहीं आती।
महंगाई और भ्रष्टाचार तो बढ़ ही रहा है,
पर इस पर किसी की नजर नहीं जाती।
अब मीडिया को इतनी फुर्सत कहां
 कि वो गरीब की बस्ती में भी जाकर झांके!
वो तो कोरोना के आंकड़ों से  दिन-रात  हमें  ही  है   डराती।


मेरे प्यारे दोस्तों अंधविश्वासी ना बनो
क्या हो रहा है? क्या होना चाहिए? इस पर भी विचार करो
हमने केवल अपने हाथों को साफ रखा,
पर्यावरण के लिए स्वच्छता अभियान क्यों छोड़ दिया?
2 गज दूरी के चक्कर में, इंसानियत का नाता तोड़ दिया?

कोरोना से अधिक दवाइयों का साइड इफेक्ट खतरनाक है,
ये वाइट और ब्लैक फंगस इसीकी करामात है।
कुछ तो सरकार की नीतियों से भी, बिगड़े हालात हैं।
डरना छोड़ के दिल से सोचोगे तो पाओगे,
मीडिया के कैमरे के पीछे भी कई राज और सवालात हैं।


डर के आगे  जीत है यह  मान लो
नेचुरोपैथी, योगा और आयुर्वेद से,
अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाना जान लो।
अपनी मौत से पहले कोई मरता नहीं, फिर डरना क्यों?
जीवन के सत्य से घबराना और मुकरना क्यों?


अपनी स्वच्छता और इम्यूनिटी पर ध्यान दो
कोरोना जैसे आया है चला ही जाएगा,
क्योंकि जो आया है उसे तो जाना ही है।
लहरें तो आती और जाती रहती हैं
समझदार हो, तो यह बात गांठ बांध लो।

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