बलिया के लोग (हिंदी कविता)
(इस कविता में बलिया के लोगों की कुछ विशेषताओं को बताया गया है।)
बलिया के लोग (हिंदी कविता)
बड़े सीधे-साधे और हठीले होते हैं, बलिया के लोग
भोले भाले और रसीले होते हैं बलिया के लोग
झूठ,क्रोध, मद, लोभ दंभ का करते हैं, सही उपयोग
सत्य और न्याय के पथ पर चलके करते हैं सबका सहयोग
बलिया के लोग होते हैं अनोखे,
नहीं देते हैं वो दूसरों को धोखे।
उनकी बातों में जो भी कोई आए,
जग की भूलभुलैया में खो जाए।
बलिया के लोग तो सड़क को भी अपना समझते हैं।
इसीलिए अपने घर का कूड़ा वहीं पर ला पटकते हैं।
बिना वजह ट्रैफिक लगा कर, खुद सिर पटकते हैं।
चाहे जितने भी हो गड्ढे, उसी सड़क से वो गुजरते हैं।
होगी रोजगार की कमी यहां, लेकिन बलिया गरीब नहीं
बड़ी-बड़ी गाड़ियां चलती हैं यहां, अच्छा रोड नसीब नहीं।
परीक्षार्थी और प्रतियोगी सफल होने तक कभी रुके नहीं।
लेकिन अपनी मंजिल पाने के, उन्हें अच्छे मौके मिले नहीं।
मीठी भाषा बड़ी अनोखी बोलते हैं बलिया के लोग।
कभी गाली से, कभी ताली से सब को लुभाते बलिया के लोग।
जाति, पंथ के नाम पर कभी नहीं लड़े बलिया के लोग।
बड़े स्नेह से सब के संग त्योहार मनाते बलिया के लोग।
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