डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किए। शिक्षक और शिक्षा के विषय में इनके विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। शिक्षा के विषय में इनके विशेष योगदान को सम्मान देते हुए प्रतिवर्ष 5 सितंबर को इनके जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुमणि में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली विरास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे। इनकी माता का नाम सीताम्मा देवी था। एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के बावजूद इन्होंने अपने प्रतिभा से अनेक उपलब्धियां हासिल की।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का गांव
'सर्वपल्ली' डॉ. राधाकृष्णन का पैतृक गांव था। उनके दादा के परदादा उनके नाम के साथ उनके गांव का नाम (सर्वपल्ली) लिखते थे जिससे लोग उनके गांव के नाम को जान सकें। और इस प्रकार 'सर्वपल्ली' उनके आने वाले पीढ़ियों के नाम के साथ जुड़ता गया।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक योगदान
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा में एक सदस्य के रूप में अपना योगदान दिया। उसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपना कदम रखा। 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति पद पर रहे तथा 13 मई 1962 को उन्हें देश का राष्ट्रपति पद प्रदान किया गया। उन्होंने दोनों प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल को भलीभांति समझा तथा उसमें अपना विशेष योगदान दिया। इस समय पाकिस्तान तथा चीन से युद्ध तथा अनेक अन्य राजनीतिक चुनौतियां भी थी चीन से हार भी मानना पड़ा लेकिन इन्होंने इन सभी चुनौतियों को साहसिक ढंग से स्वीकार करते हुए अपनी भूमिका को निभाया।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान के कारण ही उन्हें 1954 में भारत रत्न पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु
अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद डॉ राधाकृष्णन की मृत्यु हो गई। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा याद किया जाता है। उनके अमूल्य योगदान को यादगार बनाए रखने के लिए प्रतिवर्ष उनके जन्मदिवस (5 सितंबर) को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए पुरुस्कार प्रदान किए जाते हैं। राधाकृष्णन को मरणोपरांत 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिए प्रदान किया जाता है।
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