प्लास्टिक का विकल्प कितना जरूरी

प्लास्टिक का विकल्प कितना और क्यों ज़रूरी
(इस आर्टिकल में प्लास्टिक हमारे जीवन में किस तरह समा गया है, यह बताया गया है तथा उससे होने वाले नुकसान का वर्णन करते हुए प्लास्टिक के विकल्प को प्रयोग में लाने पर ज़ोर दिया गया है)

आज का युग प्लास्टिक युग

प्राचीन समय से ही धातु के उपयोग एवं उपलब्धता के अनुसार समय सारणी के भी अनेकों नाम रखे गए हैं।
जैसी पाषाण युग, लौह युग, कांस्य युग, ताम्र युग, स्वर्ण युग आदि।
आज हर क्षेत्र में जिस प्रकार प्लास्टिक का बढ़-चढ़कर प्रयोग किया जा रहा है, आज के युग को प्लास्टिक युग कहना कुछ गलत नहीं होगा। रसोई में प्रयोग किए जाने वाले डिब्बों से लेकर कृषि और बाजार हर जगह प्लास्टिक ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है।


यदि हम रसोईघर की बात करें तो छोटे-छोटे प्लास्टिक के डिब्बे,
हमारा मिक्सर -जूसर ,फ्रिज आदि अधिकांशतः  प्लास्टिक का 
ही बना होता है। हमारे बाथरूम में प्रयोग की जाने वाली बाल्टी, मग, नल की टोटी, कपड़े धोने का ब्रश, सोप केस आदि अधिकांशतः प्लास्टिक का ही होता है।उसी तरह हमारे घर में प्रयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएं जैसे कुर्सी -मेज, घर के डेकोरेशन में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं, बिजली के सामान आदि प्लास्टिक के ही होते हैं।

हर क्षेत्र में प्लास्टिक का प्रयोग


आज कृषि क्षेत्र से लेकर व्यवसाय और अन्य स्थानों में प्लास्टिक का व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है।
कृषि क्षेत्र की बात करें, तो सिंचाई के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले पाइप प्लास्टिक से ही बने होते हैं।रासायनिक उर्वरक और खाद आदि को पैक करने के लिए एवं उन्हें प्रयोग में लाने के लिए भी प्लास्टिक का ही प्रयोग किया जाता है। यहां तक कि जो हैंडपंप लगाए जा रहे हैं ,उनमें जमीन के नीचे जो पाइप इस्तेमाल की जाती है, वह प्लास्टिक की ही होती है।

 वर्षा ऋतु से अपने आप को और अन्य वस्तुएं जो घर के बाहर होती हैं , उन्हें बचाने के लिए हम प्लास्टिक का ही प्रयोग करते हैं। वर्षा से बचने के लिए पहना जाने वाला रेनकोट प्लास्टिक का ही होता है। छाता जो हमें बारिश और धूपसे बचाता है, उस का अधिकांश भाग प्लास्टिक का ही बना होता है।अपनी कार, बाइक या साइकिल को ढंकने के लिए हम प्लास्टिक का ही प्रयोग करते हैं।

तकनीक के क्षेत्र में भी प्लास्टिक का व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। जैसे घड़ी, मोबाइल और अधिकांश मशीनों में प्रयोग किए जाने वाला ज्यादा भाग प्लास्टिक ही होता है।
वाहनों जैसे कार, बाइक आदि में भी प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी प्लास्टिक उपयोगी है क्योंकि जो किताबें हम पढ़ते हैं, वैसे तो अधिकांश किताबें कागज की बनी होती हैं लेकिन आजकल कागजों की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए उन्हें प्लास्टिक से लैमिनेट किया जा रहा है, ताकि उसे वाटरप्रूफ और टिकाऊ बनाया जा सके। इसके अलावा पेन, कंपास बॉक्स, स्केल और रेखा गणित के अन्य उपकरण जिन्हें हम प्रयोग करते हैं, प्लास्टिक के ही बने होते हैैं।

हमारे घरों में जो सामान बाज़ार से आता है अधिकांश प्लास्टिक से बने थैलों में ही आता है और इन थैलों में भी बिस्किट के पैकेट, शैंपू के पाउच, मसालों के पैकेट, सॉस की बोतल और ऐसे ही बहुत सी चीज़े प्लास्टिक की ही बनी होती हैं।

अपने घरों को सजाने की बात करें तो आजकल फूल भी हम प्लास्टिक का ही प्रयोग कर रहे हैं और इसी प्रकार घर को सजाने के लिए डेकोरेशन की अन्य चीज़े अधिकांश प्लास्टिक की ही होती है। हमारे घर में बच्चों के  अधिकांश खिलौने प्लास्टिक के ही बने होते हैं।

बिजली के उपकरण ज़्यादातर प्लास्टिक के ही होते हैं क्योंकि बिजली विद्युत का कुचालक है, इसलिए बिजली के तारों को कवर करने के लिए प्लास्टिक का ही प्रयोग किया जाता है और घरों में बिजली के प्रबंधन के लिए भी प्लास्टिक की  पाइप ही इस्तेमाल की जाती है।

हमारे घरों में फर्नीचर में प्लास्टिक लकड़ी के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। प्लास्टिक की कुर्सी, प्लास्टिक के टेबल, यहां तक की चटाई भी आज प्लास्टिक की ही प्रयोग में लाई जा रही है।

आवागमन में अपने साथ सामान ले जाने के लिए के लिए हम आज प्लास्टिक से बने बड़े-बड़े बैग और सूटकेस आदि का प्रयोग कर रहे हैं। ट्रेन, हवाई जहाज, बस और अन्य छोटे-बड़े वाहनों में भी सीट की कवर, हैंडल और अन्य सामग्री प्लास्टिक की बनी होती है।





 

प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग का कारण


प्लास्टिक के कुछ गुणों के कारण आज हर क्षेत्र में हम उनका प्रयोग कर रहे हैं । जैसे, एक तो प्लास्टिक अन्य धातुओं से सस्ती होती है और उसका दूसरा सबसे बड़ा गुण यह है, कि प्लास्टिक अन्य धातुओं की तरह हवा, पानी, मिट्टी आदि द्वारा नष्ट नहीं की जा सकती। जैसे, लोहा और अन्य धातुओं में समय के साथ जंग लग जाती है या उनकी ऊपरी परत का क्षरण हो जाता है। लेकिन प्लास्टिक चाहे जहां रख दो, जैसी है, वैसी ही बनी रहती है। प्लास्टिक का यह दूसरा सबसे बड़ा गुण ही हमारी प्रकृति के लिए अभिशाप बन गया है।


प्लास्टिक वरदान या अभिशाप

आप ऊपर पढ़ चुके हैं कि कैसे हम जीवन के हर क्षेत्र में प्लास्टिक का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। लेकिन क्योंकि वह हवा, पानी, मिट्टी आदि तत्वों द्वारा नष्ट नहीं की जा सकती। कचरे  के रूप में यह प्लास्टिक हमारे जीवन के लिए अत्यंत जरूरी जल, वायु और मृदा को दूषित कर रहा है। आज हम जहां से गुजरेंगे वहीं हमें कचरे के ढेर के रूप में प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आता है। नदियों में प्लास्टिक की थैलियां बहते नजर आती हैं, और यही प्लास्टिक मिट्टी पर अधिक समय तक पड़े रहने के कारण, मिट्टी में प्लास्टिक के अधिकांश हानिकारक रसायन  घुलते जा रहे हैं और यह भूमिगत जल को भी दूषित कर रहे हैं। प्लास्टिक  को बनाने के लिए कुछ ऐसे रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, लेकिन इस बात को नजरअंदाज करके हम भोजन की पैकिंग के लिए अधिकतर प्लास्टिक का ही प्रयोग करते हैं। जल, जो हमारे लिए जीवन है वह भी हम प्लास्टिक की बोतलों में ही पैक करते हैं और यही जल हम अधिकांशतः प्रयोग में लाते हैं।

आज प्लास्टिक का व्यापक स्तर पर जो प्रयोग किया जा रहा है।
उसका दुष्परिणाम हमारे साथ साथ अन्य जीव-जंतु भी झेल रहे हैं। प्लास्टिक खाने से अक्सर अधिकांश गायों की मौत हो जाती है। आज नदी नालों में प्लास्टिक कचरे के रूप में पड़ा रहता है। इसके कारण जल में रहने वाले अनेक प्राणी मृत्यु को प्राप्त होते जा रहे हैं। भूमि का अधिकांश भाग जिस पर हरियाली होनी चाहिए, प्लास्टिक के कचरे से ढंकी हुई है। भूमिगत जल भी दूषित होता जा रहा है, जिससे पीने के पानी का संकट बढ़ता जा रहा है।
  सच कहें तो प्लास्टिक का यह बढ़ता उपयोग हमारे प्रकृति और हमारे जीवन के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। इससे पहले कि यह अभिशाप हमारी धरती और हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाए हमें इसका विकल्प ढूंढना होगा और यदि है, तो उसे प्रयोग में लाना होगा।

प्लास्टिक का विकल्प

यदि हम अपने आने वाली पीढ़ियों को प्लास्टिक से उत्पन्न हुए संकट से बचाना चाहते हैं, तो हमें दृढ़ संकल्प के साथ प्लास्टिक के विकल्प को प्रयोग में लाने के लिए संकल्पबद्ध होना होगा। क्योंकि बिना संकल्प लिए हम व्यापक रूप से जिस प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं, उसे इतनी जल्दी अपने जीवन से नहीं हटा सकते।

आज प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कागज से बने थैले और अन्य सामग्रियां उपलब्ध कराई जा रही हैं ,लेकिन यह प्लास्टिक से महंगे हैं और बाज़ार में इनकी मांग भी कम है इसलिए इनका अधिक प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
सबसे पहले तो हमें इस प्लास्टिक से जो जो हानि हो रही है उसे और लोगों को समझाना होगा और दूसरा जो प्लास्टिक के उपलब्ध विकल्प हैं वह सबके लिए सुगम हो सकें, सस्ते हो सकें, बाजार में उनकी मांग बढ़े और पूर्ति भी इसका प्रबंध करना होगा। प्लास्टिक से बनी चीजों का सबसे अच्छा विकल्प कागज है और कागज वनस्पतियों से प्राप्त होता है। तो हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे भी लगाने होंगे क्योंकि यदि हम प्लास्टिक के खतरों से बचने के लिए कागज का अधिक प्रयोग करेंगे तो उसके लिए हमें छोटे -बड़े पेड़ों को काटना पड़ेगा, क्योंकि कागज का उत्पादन तो वन सामग्री से ही होता है। इस प्रकार हम अपने आप को एक खतरे से बचाने के लिए दूसरे खतरे में डाल देंगे और वह खतरा होगा ग्लोबल वार्मिंग।तो कागज का अधिक से अधिक उत्पादन किया जा सके इसके लिए सबसे पहले हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे। जब चारों ओर हरियाली होगी तो पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा।

जीवन जरूरी या प्लास्टिक का उपयोग जरूरी


अंततः हम यह कर सकते हैं की यदि हम पर्यावरण को बचाना चाहते हैं तो शनै: शनै: हमें प्लास्टिक के उपयोग को तिलांजलि देनी होगी। यदि हम अपने पर्यावरण को बचाकर अपने आने वाली पीढ़ियों को एक हरा भरा स्वस्थ जीवन दे सकें तो यह उनके लिए एक अनमोल उपहार होगा।
  प्लास्टिक के स्थान पर हम अन्य वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन जीवन के स्थान पर सिर्फ जीवन ही जरूरी है; क्योंकि जीवन और उस पर भी स्वस्थ जीवन इसका कुछ और विकल्प तो हो ही नहीं सकता। तो इसलिए जरूरी है, कि हम प्लास्टिक के स्थान पर ही उसका विकल्प प्रयोग में लाएं।


जीवन और पर्यावरण को बचाना जरूरी है
उपयोगी चीजें तो हम और बना लेंगे।
आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य जरूरी है
चीज़े और धन तो वे खुद ही कमा लेंगे।



 


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