बेरोजगारी में पनपता रोजगार

("हर व्यक्ति जिसके पास करने को ऐसा कोई काम नहीं जिससे वह धन कमा सके बेरोजगार है।"कुछ ऐसे भी बेरोजगार होते हैं, जो अन्य बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए धोखाधड़ी करके अपने लिए रोजगार का जरिया बनाते हैं, कुछ ऐसे ही उदाहरण इस आर्टिकल में दिए गए हैं।)


बेरोजगारी में पनपता रोजगार

बेरोजगारी वर्तमान समय की मुख्य समस्याओं में से एक है ।देश में सब को रोजगार मिलेगा ,यह अनोखा सपना लगता है। बढ़ती हुई जनसंख्या, वर्तमान शिक्षा प्रणाली और सरकारी नौकरी के प्रति युवाओं का रुझान, बेरोजगारी को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक हैं।

हर बेरोजगार का एक अनोखा सपना होता है, कि वह एक अच्छी नौकरी मिलने के बाद  अच्छी सुख -समृद्धि से भरी हुई जिंदगी बिताएगा और अपने उन सभी सपनों को पूरा करेगा जिन्हें वह अपने पढ़ाई के समय से ही देखता आया है। इस सपने को पूरा करने के लिए वह दिन-रात  एक कर देता है । ऑफ-लाइन से लेकर ऑनलाइन तक सारे फॉर्म भरता है, परीक्षाओं के सेंटर जहां भी पड़े, वहां जाने के लिए बसों और ट्रेनों में धक्के भी खाता है ,असफल होने पर वह फिर से तैयारी करता है और हर वह कोशिश करता है ,जिससे वह अपना देखा हुआ सपना साकार कर सके।

छोटे बच्चों के मासूम चेहरे की तरह इन युवाओं के सपने भी मासूम होते हैं ,लेकिन कुछ ऐसे भी बेरोजगार होते हैं जो इन सपनों का भी सौदा करते हैं ,युवाओं को अच्छी ज़िंदगी का सपना दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूलना, उनके सपनों को पूरा करने का एक नया सपना दिखाना और उन्हें पूरी तरह लूट कर नौ दो ग्यारह हो जाना यही इनका रोजगार है।

आए दिन हम ऐसी खबरें देखते और सुनते रहते हैं , कि कोई व्यक्ति या संस्था या कंपनी अमुक अमुक व्यक्ति से नौकरी के नाम पर धन लूट कर भाग गई ।फिर भी हम चेतते नहीं ,और ऐसे लोगों के बारे में कुछ जाने बिना हम उनके झांसे में आ जाते हैं ।ठगे जाने के बाद भी हम किसी से कुछ इसलिए नहीं कहते क्योंकि लोग हमारा मजाक बनाएंगे। सोचने की जरूरत है ,कि जो युवा बड़ी मुश्किल से अपनी नौकरी के लिए जहां-तहां से धन जुटाते हैं और वह धन जब कोई लूट के चला जाता है और उनके सपने भी उसी के साथ चकनाचूर कर देता है तब उनके कोमल हृदय पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता होगा ।ऐसी घटनाओं से ही आजकल बहुत सारे युवा आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने के लिए विवश हो जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि हमारे आज के युवा सिर्फ प्राइवेट स्तर पर ही ठगे जा रहे हैं बल्कि सरकारी स्तर पर भी उनके सपनों का व्यापार हो रहा है।

आजकल समाचार पत्रों में या नेट पर हर जगह सरकारी भर्तियों के लिए और उनकी एंट्रेंस एग्जाम के लिए सिलेक्शन एग्जाम के  फॉर्म भरे जाते हैं और उसी समय उसउस भर्ती की परीक्षा के लिए एक फीस निर्धारित की जाती है ,जिस फीस को अदा करने के बाद ही जो फॉर्म भरा जाता है ,वह कंप्लीट होता है।हमारे देश में ऐसे भी बेरोजगार युवा हैं जो लगभग देश -प्रदेश में आयोजित सभी परीक्षाओं के फॉर्म भरते हैं और उसकी फीस भी ;भले ही वह परीक्षा उनके स्तर की ना हो।

सोचने की बात यह है कि जो युवा पहले से ही बेरोजगार हैं ,उन्हें फीस और आवागमन का खर्च वहन करने में धन जुटाने में कितनी मुश्किल होती होगी ।मैं मानती हूं , कि यह कोई नई बात नहीं है और पहले से परंपरा के रूप में चली आ रही है; पर सच तो यही है, कि परीक्षाओं में लगने वाले खर्च के बाद जो धन बच जाता है वह सरकारी खजाने में जमा हो जाता है ।बेशक सरकार उससे कल्याणकारी कार्यों को पूर्ण करती होगी परंतु कड़वा सच तो यही है ,कि 1000 वैकेंसी के लिए 5,00000 तक फॉर्म भरे जाते हैं और 4,99000 युवा फिर बेरोजगार ही रह जाते हैं ,और वह बार-बार कोशिशें करते हैं ,फॉर्म भरते हैं और उनकी फीस भी।

प्राइवेट और सरकारी तौर पर ,जो युवाओं का नौकरी के नाम पर, इस प्रकार का शोषण किया जा रहा है ,और उनके सपनों का व्यापार किया जा रहा है ,इसके अनेक दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

वह नवयुवक जो अपनी योग्यता के अनुसार काम पाकर देश के विकास में अपना सहयोग दे सकता है ,नेताओं के बैनर लेकर जिंदाबाद के नारे लगाता है ।इतना ही नहीं अपने खर्चों को चलाने के लिए ,यही युवा आतंक और लूटपाट का रास्ता भी चुन रहे हैं। जो युवा नए-नए आविष्कार कर सकते हैं, ऊंची-ऊंची  इमारतें बना सकते हैं , डॉक्टर बनकर किसी की ज़िंदगी बचा सकते हैं, व्यापार करके देश को उन्नति के पथ पर ले जा सकते हैं, छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना कर सकते हैं, क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलों में भाग लेकर अपने देश का नाम दुनिया में ऊंचा कर सकते हैं। वही युवा डिग्रियां लेकर यहां-वहां भटकने के बाद थक हार कर या तो गलत रास्ता चुन लेते हैं या कहीं सब्जियां पकौड़े बेचने का रोजगार शुरू कर देते हैं।

बेरोजगारी में पनपते इस व्यापार से सबसे अधिक नुकसान हमारे देश का ही हो रहा है। हम सभी को एकजुट होकर इस व्यापार को बंद करना होगा और इसके लिए जरूरी है, कि हम इसके मुख्य कारणों को जानें।

(1)  आज का समाज छोटे काम करने वालों को वह मान सम्मान नहीं देता, जो बड़े अधिकारी और व्यापारी को देता है ।इसलिए युवाओं की भी यह मानसिकता होती जा रही है, कि वह कोई बड़े पद की नौकरी करें या फिर उन्हें कोई सरकारी नौकरी मिल जाए, और इसलिए जब ऐसे पदों के लिए वैकेंसी आती है तो वह इसे पाने का पूरा प्रयास करते हैं और जी जान लगा देते हैं।

(2)   भ्रष्टाचार जो व्यापक रूप से फैला हुआ है हर विभाग में ।इसके कारण हर तरह से योग्य युवाओं को छांट कर जो पैसे देने में सक्षम हों, ऐसे लोगों को नौकरियां दे दी जाती हैं। एक तरफ तो इसके कारण अच्छे और ईमानदार लोगों की कमी होती जा रही है, दूसरी तरफ बेरोजगारी में पनपते रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है।

(3)   प्राइवेट कंपनियां बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार तो दे रही हैं ,लेकिन समय की अधिकता, रोजगार की गारंटी ना होना, आवश्यकता से अधिक काम के घंटे और उनके काम के अनुसार  मूल्य ना मिल पाना कुछ ऐसे ही अन्य दोषों के कारण युवाओं को सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी से अधिक लाभदायक लगती है।

      यदि हम अपने आज की युवा शक्ति को बचाना चाहते हैं, उन्हें आतंकवाद और बुरी राह पर जाने से  रोकना चाहते हैं और इस युवा को देश के लिए एक कार्यशक्ति के रूप में प्रयोग में लाना चाहते हैं तो हमें जिन कारणों से बेरोजगारी की समस्याएं बढ़ रही हैं, उन कारणों को दूर करना होगा और यह काम अगर हम सभी लोग एकजुट होकर ठान लें, तो कर सकते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाकर, युवाओं की और समाज के लोगों की सोच बदलकर प्राइवेट नौकरियों में जो दोष है, उन्हें दूर करके हम कुछ हद तक बेरोजगारी से संबंधित समस्याओं को   कम कर सकते हैं।

सरकार को सरकारी स्तर पर ऐसी परीक्षाओं का आयोजन करना चाहिए, जिसमें युवाओं का अधिक धन खर्च ना हो और एक बार वह परीक्षा देने के बाद, उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें रजिस्टर कर लिया जाए, कि यदि उनके योग्य काम होगा तो उन्हें भविष्य में उपलब्ध हो जाएगा ;और उन्हें आगे चलकर अन्य परीक्षाओं के लिए फॉर्म और उसकी फीस भरनी ना पड़े।

कुछ दोष हमारी शिक्षा प्रणाली में भी है कि हमें सिर्फ किताबी ज्ञान ही स्कूल और कॉलेजों में दिया जाता है जब इंटरमीडिएट की परीक्षाएं समाप्त होती हैं ,और कॉलेज की पढ़ाई शुरू होती है तो वहीं से युवाओं को ऑप्शन दे देना चाहिए कि वह अपने टैलेंट के अनुसार जो काम  करना चाहते हैं, उसमें दक्षता हासिल करें और उस काम को अच्छे से करने की ट्रेनिंग लें। पढ़ाई के साथ-साथ सरकार ऐसी बहुत सी योजनाएं चला भी रही है ।लेकिन,उन्हें सही तरीके से कार्यान्वित नहीं किया जा रहा है, जिससे युवाओं को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। शिक्षा प्रणाली में जो यह प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें व्यापक स्तर पर किया जाए और सबके लिए यह अनिवार्य किया जाए कि उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ अपने टैलेंट के अनुसार ,जिस कार्य में वे कुशल हैं उसकी ट्रेनिंग भी लें, ताकि आगे चलकर उनके लिए नौकरी के साथ-साथ अन्य कार्यों का भी विकल्प खुला रहे।

सरकारी स्तर में ऊपर से लेकर नीचे तक जो भ्रष्टाचार का माहौल है उसे कम किया जाए और वास्तव में यह तभी हो सकता है जब हम सभी मिलकर प्रयास करें। हम में से ही कुछ लोग पैसे देकर अधिकारियों को लालच देते हैं, कि यदि वह हमारा काम करेंगे, तो उनको इतने रुपए का मुनाफा होगा और ऐसे लोगों के कारण ही उन्हें भ्रष्टाचार की लत लगती है और उन्हें देखकर अन्य लोग भी भ्रष्टाचार से ग्रसित हो जाते हैं। तो यदि समाज के सभी लोग प्रयत्न करेंगे तो इस भ्रष्टाचार को शनै:- शनै: समाप्त किया जा सकता है। क्योंकि भ्रष्टाचार से ही टैलेंटेड युवाओं को मौका नहीं मिलता, कि वह अपने सेवा कार्यों को दे सके और अपने जीवन को भी सुख समृद्धि से भर सकें। और उन युवाओं को जो पद के योग्य नहीं होते ,उन्हें मौका मिल जाता है पैसे देकर उस पद को हासिल करने का।

देश को उन्नति के पथ पर ले जाने के लिए बेरोजगारी में पनपते इन रोजगारों को समाप्त करना जरूरी है। कब तक हम अपने देश को भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे समस्याओं के लिए कोसते रहेंगे, अब इन्हें दूर करने के लिए भी तो हमें ही सोचना पड़ेगा। सिर्फ सोचना ही नहीं, बल्कि  दूर करना भी होगा।

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