मकर संक्रांति का पर्व आया (कविता)

 मकर संक्रांति का पर्व आया (हिंदी कविता)

आया रे आया मकर संक्रांति आया।
सूर्य के उत्तरायण का समय आया।
नए साल का पहला यह पर्व आया।
सबके दिल में खुशियां भरपूर लाया


कहीं इसे कहते हैं लोहड़ी,
कहीं इसे कहते हैं पोंगल,
तो कहीं कहलाता है यह खिचड़ी।
चाहे जहां और जैसे मनाओ इसे
बांटो तिल -गुड़, खाओ खिचड़ी।


सबको खुशियां देने में रहता है यह आगे
बच्चेऔर बूढ़े सभी पतंग के पीछे भागें।
स्नान करना है जरूरी, इसलिए प्रातः जल्दी जागें।
दान- दक्षिणा करने में आज सब का मन लागे।


मकर संक्रांति की सभी को शुभकामनाएं।
संग- संग मिलकर खुशियां मनाएं।
अपने और पराए का भेद भुलाके,
प्रेम की डोर से सजी पतंग उड़ाएं।
नई उमंग में पुराने दुख -दर्द को भूल जाएं

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