(इस कविता में मच्छर की स्तुति के रूप में उसके होने का कारण, स्वच्छता तथा मच्छर से बचने के लिए क्या करना चाहिए, इसे हास्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।)
मच्छर महाराज की स्तुति
क्या कभी आपने सोचा है, कि भगवान ने मच्छर जैसा जीव क्यों बनाया होगा? शायद.... जो लोग गंदगी करते हैं, और सफाई करना भूल जाते हैं, उन्हें सज़ा देने के लिए। क्योंकि प्रकृति में कुछ भी महत्वहीन नहीं है। सजीव, निर्जीव हर वस्तु का कोई ना कोई अपना महत्व है, तो फिर मच्छर महत्वहीन कैसे हो सकता है? तो आईए इन मच्छर महाराज की स्तुति करें, जिनकी उपस्थिति हमें साफ- सफाई करने का संदेश देती है।...
मंत्र-"ओम मच्छर देवाय नमः"
हाथ जोड़कर हम सब करते, रोज तुम्हारा ही गुणगान।
जय- जय मच्छर महाराज जय- जय मच्छर महाराज।।
खून हमारा चूस-चूस करते हो, तुम दुनिया पर राज।
मार्टिन, कछुआ, गुडनाइट लेकर हम तो तुम्हें मनाएं आज।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
अद्भुत शक्ति है तुममें, जो करती है सबको हैरान।
डेंगू, मलेरिया के तुम दाता सब रोगों की तुम हो खान।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
कूड़े- करकट में तुम रहते, लेते हो गटर का स्वाद।
भन-भन, भिन-भिन गूंजता रहता, सदा तुम्हारा ही स्वर-नाद।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज ।।
शहर में फैली गंदगी ही, है तुम्हारा जन्म स्थान।
लोगों की ये उदासीनता, तुम्हें बनाए और महान।
जय- जय मच्छर महाराजा, जय- जय मच्छर महाराज।।
भूल चूक करो क्षमा हमारी, कर दो हमको तुम अब माफ
गंदा शहर ना रखेंगे हम, रखेंगे अब सब कुछ साफ।
जय- जय मच्छर महाराजा जय- जय मच्छर महाराज।।
।।मच्छर महाराज की जय हो।।
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