मास्क का सही प्रयोग
(मास्क आज के आधुनिक समय में सब की जरूरत बन गया है, इस आर्टिकल में इसका सही उपयोग कैसे करना चाहिए और कितनी सावधानियों से करना चाहिए, यह बताया गया है।)
मास्क की जरूरत क्यों?
आज हमारा पर्यावरण कुछ हद तक दूषित हो चुका है, वाहनों से निकलने वाले धुएं, धूल, छोटे-छोटे जीवाणु, वायरस यह सभी हमारी हवा में सदैव मौजूद रहते हैं, कहीं कम मात्रा में तो कहीं अधिक मात्रा में। इन सभी से बचाव के लिए हम बोलते समय अथवा सांस लेते समय अपने मुंह और नाक को किसी ना किसी कपड़े से ढक लेते हैं, हमें ऐसा करना भी चाहिए! जिस कपड़े की सहायता से हम अपने मुंह और नाक को ढक कर इन सभी दूषित तत्वों से अपनी रक्षा करते हैं, उस कपड़े को हम मास्क कह सकते हैं।
मास्क के प्रकार
मास्क कई प्रकार का हो सकता है, एक बड़ा-सा रुमाल जिससे हम अपने नाक और मुंह को ढंक सकते हैं, उसे भी एक तरह का मास्क ही कहा जाएगा। आजकल अनेक प्रकार के disposal mask भी मार्केट में उपलब्ध हो रहे हैं।सूती तथा अन्य प्रकार की कपड़ों से भी मास्क बनाए जा रहे हैं। इनमें से किसी भी प्रकार के मास्क को पहनने का एक ही उद्देश्य है, अपने आप को वायरस, जीवाणु तथा दूषित हवा से बचाना।
कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क का प्रयोग अनिवार्य बताया जाता है। इससे पहले 2015 में जब स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ था, तब भी इस मास्क का प्रयोग किया जा रहा था। आज प्रत्येक व्यक्ति को मास्क पहनना अनिवार्य इसलिए बताया जाता है, ताकि उसे अन्य संक्रमित लोगों के संक्रमण से बचाया जा सके।
मास्क पहनने का सही लाभ हमें तभी मिल सकता है, जब हम सही तरीके से, इसका प्रयोग करें। आइए जानें कि इसका प्रयोग हम सही तरीके से कैसे कर सकते हैं?
मास्क का सही प्रयोग क्यों जरूरी?
मास्क हम अपने मुंह और नाक को ढंकने के लिए पहनते हैं, इसका अर्थ तो यही हुआ कि यह हमारे अन्य कपड़ों से ज़्यादा साफ- सुथरा और सुरक्षित होना चाहिए! लेकिन क्या हम इसका ध्यान रखते हैं। कोई मास्क कितना भी महंगा क्यों ना हो, अगर हम उसे धोकर साफ नहीं कर सकते, तो उसको पहनने से क्या लाभ? क्योंकि वह तो स्वयं ही हमारे भीतर से निकलने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं और कार्बन डाइऑक्साइड से संक्रमित हो चुका होता है। ऐसा संक्रमित मास्क हमें किसी और वायरस के संक्रमण से कैसे बचा सकता है?
जैसे अपने ही घर के दिए से जिस प्रकार घर में आग लग जाती है, उसी तरह मास्क भी हमारे शरीर से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और सुक्ष्म जीवाणुओं के संक्रमण से बचाने के स्थान पर हमें अन्य बीमारियों से संक्रमित कर सकता है।
मास्क कैसा होना चाहिए?
- मास्क ऐसा होना चाहिए, जिसे हम समय-समय पर साफ करते रहें।
- हमारे नाक और मुंह से निकलने वाली दूषित हवा (carbon dioxide), वाष्प तथा सूक्ष्म जीवाणु आसानी से बाहर निकल सकें, मास्क में चिपके नहीं।
- मास्क ऐसे कपड़े से बना होना चाहिए, जो हमारे चेहरे पर अधिक पसीना उत्पन्न ना करे।
- इतना महंगा नहीं होना चाहिए, कि उसे चेंज करते समय हमें उसके महंगा होने का दर्द सताए, संभव हो, तो घर का बना होना चाहिए।
मास्क कब बदल देना चाहिए?
4 घंटे के अंतराल में हमें अपना मास्क बदलते रहना चाहिए, क्योंकि हमारे भीतर से निकलने वाली दूषित हवा और नमी चिपक कर वहां सुक्ष्म जीवाणुओं को उत्पन्न करती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। 4 घंटे में हम अपना मास्क बदल देते हैं, तो हम इससे बच सकते हैं।
अगर disposal mask है तो उसे बदल देना चाहिए। अगर कॉटन के कपड़े का बना हुआ है, तो साफ करके प्रयोग में ला सकते हैं। कहने का तात्पर्य है, कि मास्क साफ- सुथरा, स्वच्छ होना चाहिए।
निष्कर्ष
अगर हम उपर्युक्त बातों का ध्यान रखते हुए मास्क का सही प्रयोग करेंगे, तो संभव ही हमें उससे आशातीत लाभ होंगे। जिस उद्देश्य से हम मास्क पहनते हैं, उस उद्देश्य की पूर्ति होगी।
कोरोनावायरस ही नहीं अन्य वायरस और जीवाणुओं से तथा हानिकारक धूल आदि से हमारी रक्षा करने में मास्क अवश्य ही लाभदायक सिद्ध होगा ।
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