वर्मी कंपोस्ट

 (वर्मी कंपोस्ट एक प्रकार का जैविक उर्वरक है, जिसे ऑर्गेनिक फार्मिंग में अच्छी फसल पाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस आर्टिकल में हम इसे बनाने की विधि, विशेषताओं एवं प्रयोग विधि का अध्ययन करेंगे।)

वर्मी कंपोस्ट क्या है?

वर्मी कंपोस्ट जिसे हम केंचुआ खाद भी कहते हैं, एक विशेष प्रकार की खाद है, जिसे रासायनिक खाद के स्थान पर प्रयोग करने से रासायनिक खाद से भी अधिक पैदावार होती है एवं स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को इससे कोई भी हानि नहीं होती।
इसके प्रयोग से फसलों की पैदावार तो बढ़ती ही है, इसका उत्पादन करके पर्यावरण की रक्षा भी होती है। आज पशुओं का गोबर शहरों में यहां-वहां फेंक दिया जाता है, सब्जियों के छिलके आदि कूड़ेदान में सड़कर बदबू तथा मक्खियां उत्पन्न करते हैं। वर्मी कंपोस्ट बनाकर इन सभी वस्तुओं का सही प्रयोग करके ना सिर्फ एक रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है, बल्कि कृषि क्षेत्र में लाभ और पर्यावरण की रक्षा ये दोनों कार्य भी संभव हो जाते हैं।

केंचुए की विशेषता

केंचुआ ऐसा जीव है, जो निरंतर खाता ही रहता है तथा उसे मलद्वार से निकालता रहता है। एक केंचुए का भोजन 1 हाथी के बराबर होता है। केंचुए का भोजन गोबर तथा मिट्टी है,जब वह इनका सेवन करके इसे मल द्वारा बाहर निकलता है, तो यह भुरभुरी एवं पौधों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर होती है। केंचुए की इसी विशेषता का प्रयोग वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए किया जाता है। केंचुए की अनेक प्रजातियां होती हैं, वर्मी कंपोस्ट के लिए केंचुए की छोटी प्रजाति का प्रयोग किया जाता है, जो 2 से 3 फीट गहराई तक की मिट्टी में रहते हैं।

वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि

  • वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए समतल भूमि की आवश्यकता होती है। यदि भूमि उबड़- खाबड़ है, तो उसे समतल कर लेना चाहिए। इस समतल भूमि पर वर्मी कंपोस्ट के लिए बेड बनाना पड़ता है।
  • 3 से 5 फीट लंबा तथा 2 फीट चौड़ा और 2 फीट गहरा एक बेड बनाया जाता है। जितना खाद उत्पादन करना हो, उसके अनुसार बेड की संख्या बढाई जा सकती है।
  • सबसे पहले बेड पर प्लास्टिक बिछानी पड़ती है, जो कहीं से भी फटी नहीं होनी चाहिए।
  • उस प्लास्टिक पर सबसे पहले खर-पतवार आदि बिछाया जाता है, उसमें केले के छिलके, सब्जियों के डंठल आदि बारीक- बारीक काटकर भी मिलाया जा सकता है। इसके ऊपर पशुओं का ताजा गोबर बिछाया जाता है, कुछ घंटों तक इसे खुले में छोड़ दिया जाता है, जिससे गोबर की गर्मी निकल जाए।
  • तत्पश्चात गोबर को ढेर की तरह व्यवस्थित किया जाता है, जो ऊपर की तरफ संकरा और नीचे चौड़ा हो, जिससे पानी का छिड़काव करने पर आवश्यकता से अधिक पानी नीचे चला जाए।
  • इसके बाद इस पर केंचुआ की एक प्रजाति गोबर की ऊपरी सतह पर बिछा दी जाती है।
  • इन केचुओं को सीधी धूप ना लगे, इसलिए पुआल अथवा जूट के बोरे से उन्हें अच्छी तरह ढंक दिया जाता है।
  • हर दूसरे दिन इस बेड पर पानी का छिड़काव किया जाता है, जिससे उसमें नमी बनी रहे। वर्षा तथा ठंडी के मौसम में अधिक छिड़काव करने की जरूरत नहीं होती।
  • इसे समय-समय पर उलटना -पलटना पड़ता है।
  • केंचुए इस गोबर के मिश्रण को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं एवं मल के रूप में बाहर निकालते हैं, यही कुछ दिनों बाद वर्मी कंपोस्ट के रूप में तैयार हो जाती है।
  • जब ऊपर की सतह भुरभुरी दानेदार हो जाए, तो कुछ दिनों तक उन पर पानी का छिड़काव बंद कर देना चाहिए, फिर ऊपरी सतह को इस तरह एकत्र करना चाहिए, जिससे केचुओं को कोई हानि भी ना हो और वे नीचे की सतह पर चले जाएं।
  • इस प्रकार प्रत्येक सतह को उतारने के बाद जब केंचुए सबसे निचली सतह पर चले जाते हैं और सारी खाद प्राप्त कर ली जाती है, तो उन केंचुओं को दूसरे बेड पर स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • 45 से 60 दिन में एक बेड से सारी वर्मी कंपोस्ट प्राप्त कर ली जाती है।
  • अब इस तैयार खाद को बड़े चलनी से छान कर प्रयोग में लाया जाता है।

वर्मी कंपोस्ट की विशेषताएं-

  • वर्मी कंपोस्ट एक ऑर्गेनिक खाद है, इससे फसलों की पैदावार तो बढ़ती ही है, इससे प्राप्त फसल भी सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
  • इस खाद में गर्मी नहीं होती है, अन्य जैविक खादों में आवश्यकता से अधिक गर्मी होने के कारण वह का छोटे पौधों के लिए कभी-कभी नुकसानदेह भी हो जाती है, लेकिन वर्मी कंपोस्ट से किसी भी पौधे को किसी प्रकार की हानि नहीं होती।
  • इस प्रकार से उत्पादित खाद में किसी भी प्रकार की बदबू नहीं होती।
  • वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने से फसलों को 3 से 4 बार पानी देने के स्थान पर केवल दो या तीन बार ही पानी देना पड़ता है,क्योंकि इसमें पानी को सोखने की क्षमता होती है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है।
  • यह किट नियंत्रक खाद है, इसे प्रयोग करने से पौधों में किसी प्रकार के कीट उत्पन्न नहीं होते।
  • यह एक सूखी खाद है, इसलिए इसकी पैकिंग तथा ढुलाई में भी कोई परेशानी नहीं होती।

 प्रयोग विधि

वर्मी कंपोस्ट को फल ,फूल, सब्जियों तथा अन्य फसलों में अधिक पैदावार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके लिए जिस पौधे या फसल में इसे प्रयोग करना हो, उसके सतह की ऊपरी मिट्टी खुरेदकर उस मिट्टी में इस खाद को मिला दिया जाता है।उसके ऊपर पानी का छिड़काव कर दिया जाता है। केवल एक बार भी इस खाद को पौधों में डालने पर उन्हें आवश्यक सभी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।


रोजगार का साधन- वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन

वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन करके आज कई लोग इससे एक उन्नत रोजगार के रूप में लाभ उठा रहे हैं। आज बेरोजगारी का स्तर जिस तरह से बढ़ता ही जा रहा है, इस प्रकार के रोजगार का सृजन एक आशावादी लाभ दे रहा है।
वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन से किसानों को तो लाभ हो ही रहा है, क्योंकि वे रासायनिक खाद के उपयोग से भी बच रहे हैं एवं उसके विकल्प के रूप में इस खाद का उपयोग करके फसलों की पैदावार में भी वृद्धि कर रहे हैं। साथ ही इसका उत्पादन करने वालों को भी बहुत ही कम लागत में व्यवसाय करके धन कमाने का उचित अवसर मिल रहा है।



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